For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मील का पत्थर …

मील का पत्थर …

कल जो गुजरता है....
जिन्दगी में....
एक मील का पत्थर बन जाता है//

और गिनवाता है....
तय किये गये ....
सफर के चक्र की....
नुकीली सुईयों पर रखे....
एक-एक कदम के नीचे....
रौंदी गयी....
खुशियों के दर्द की....
न खत्म होने वाली दास्तान//

दिखता है ....
यथार्थ की....
कंकरीली जमीन पर....
कुछ दूर साथ चले....
नंगे पांवों के....
दम तोड़ते निशान//

अहसास कराता है..... 
ख़्वाबों के फलक पर....
बेनूर होते आफताबी अरमान//

रोज,हर रोज....
शाम ढले हर आज....
अपनी केंचुली बदल.....
फिर जिन्दगी की राह में ....
मील का पत्थर बन जाता है//

दर्द की किताब में....
एक वर्क और जुड़ जाता है//

इक मुक्कमल आसमान की चाह में ....
इंसान जाने....

कहाँ-कहाँ से गुजर जाता है//

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 513

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on July 23, 2014 at 12:07pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय  जी   रचना पर आपकी आत्मीय स्नेहाशीष का हार्दिक आभार।  कुछ अपरिहार्य कारणों से आभार व्यक्त करने में विलम्ब हुआ , क्षमा चाहता हूँ। 

Comment by Sushil Sarna on July 23, 2014 at 12:06pm

आदरणीय संतलाल करून जी   रचना पर आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार।  कुछ अपरिहार्य कारणों से आभार व्यक्त करने में विलम्ब हुआ , क्षमा चाहता हूँ। 

Comment by Sushil Sarna on July 23, 2014 at 12:05pm

आदरणीय जितेन्द्र जी  रचना पर आपकी मधुर  प्रशंसा का हार्दिक आभार।  कुछ अपरिहार्य कारणों से आभार व्यक्त करने में विलम्ब हुआ , क्षमा चाहता हूँ। 

Comment by Sushil Sarna on July 23, 2014 at 12:04pm
आदरणीय शिज्जु शकूर जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। कुछ अपरिहार्य कारणों से आभार व्यक्त करने में विलम्ब हुआ , क्षमा चाहता हूँ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 22, 2014 at 12:29am

एक विचारपरक कविता के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ आदरणीय सुशील भाईजी.. .

Comment by Santlal Karun on July 20, 2014 at 8:27am

आदरणीय सुशील समा जी,

वर्तमान जीवन के विडंबन पर उत्कृष्ट व्याख्यात्मक कविता, अत्यंत प्रभावपूर्ण;  साधुवाद एवं सद्भावनाएँ !

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 18, 2014 at 12:28am

यथार्थ पर बहुत ही सुंदर रचना. बधाई स्वीकारिये आदरणीय शुशील जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 17, 2014 at 9:25pm

आदरणीय सरना सर बहुत खूब कहा आपने बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिये

Comment by Sushil Sarna on July 17, 2014 at 9:19pm

आदरणीय  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव  जी रचना पर आपकी ऊर्जावान प्रशंसा का हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on July 17, 2014 at 9:18pm

आदरणीय  narendrasinh chauhan  जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
8 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service