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ग़ज़ल : जिया गुमनाम हूँ तो मौत को तशहीर मत देना

नए ज़हनों को छूने दो अदब के अनछुए पहलू

इन्हे मीरास में उलझी हुई ज़न्जीर मत देना

लबों को सी लिया मैने,खुदा ये बस में था मेरे

जो आहें दिल से उठ जाएं उन्हें तासीर मत देना

नई है नस्ल नई जंगें नए हथियार भी होंगे

क़लम दो मुल्क के हाथों में अब शमशीर मत देना

मचल जाए ना मेरी रूह फिर दुनिया में आने को

जिया गुमनाम हूँ तो मौत को तशहीर मत देना

रहूँ मैं मुन्हसिर दीदार को कागज़ के टुकड़े पर ?
मुझे तो चाँद है काफी भले तस्वीर मत देना

-सालिम शेख

"मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment by saalim sheikh on September 20, 2014 at 7:17pm

 आदरणीय योगराज प्रभाकर जी मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 

अभी ग़ज़ल की बारीकियां सीखने की कोशिश जारी है
बस आप गुणीजनों से स्नेह बने रखने का आग्रह है
सादर


Comment by saalim sheikh on September 20, 2014 at 7:12pm

 आदरणीय गिरिराज भंडारी जी,  Sulabh Agnihotri जी "नस्ल" की तक़्तीअ में थोड़ा उलझने की वजह से शायद ऐसा हुआ है ,

नस्ल की तक़्तीअ २१ होगी या २ ? अगर आप गुणीजन मार्गदर्शन करने का कष्ट करें तो बड़ी कृपा होगी


Comment by saalim sheikh on September 20, 2014 at 7:02pm
Comment by Neeraj Nishchal on September 19, 2014 at 1:45am
छा गये सालिम साहब छा गये बहुत ही बेहतरीन गजल ईजाद हुई है बहुत बहुत बधाई प्रेषित हैँ ।
Comment by Ram Awadh VIshwakarma on September 18, 2014 at 11:43am

नई नस्लें नई जंगें नए हथियार भी होंगे
ऐसा परिवर्तन करने पर गजल बहर में आजायेगी।
बहर है मफाईलुन मफाईलुन मफाईलुन मफाईलुन

गंजंल लाजबाज है। बधाई

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 17, 2014 at 11:36am

वाह  बाकमाल  शायरी i  मुबारक हो i

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 17, 2014 at 11:10am

आदरणीय भाई सलीम शेख जी इस उम्दा ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई .

Comment by khursheed khairadi on September 17, 2014 at 9:25am

नई है नस्ल नई जंगें नए हथियार भी होंगे

क़लम दो मुल्क के हाथों में अब शमशीर मत देना

आदरणीय सलीम साहब ,उम्दा ख्यालात और नायाब अशहार पर ढेरों दाद कबूल फरमाएं | वा.....ह 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 16, 2014 at 10:18pm

आ. सलीम भाई , सभी अशआर बढ़िया हुए हैं , आपको दिली मुबारकबाद , ग़ज़ल के लिए | आपने बहर नहीं दिया है  शायद ये मिसरा    बेबहर  हो  - नई है नस्ल नई जंगें नए हथियार भी होंगे , देख लीजिएगा , अगर बहर ,१२२२ १२२२ १२२२ १२२२ है तो |

Comment by भुवन निस्तेज on September 16, 2014 at 9:20pm

नई है नस्ल नई जंगें नए हथियार भी होंगे

क़लम दो मुल्क के हाथों में अब शमशीर मत देना

बेहद खूबसूरत ख़यालात.... बधाई है...

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