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सभी साहित्य प्रेमियों को प्रणाम !

साथियों जैसा की आप सभी को ज्ञात है ओपन बुक्स ऑनलाइन पर प्रत्येक महीने के प्रथम सप्ताह में "महा उत्सव" का आयोजन होता है, फाल्गुन के बौराई हवाओं और होली के मदमस्त माहौल में ओपन बुक्स ऑनलाइन भी लेकर आ रहे है....


"OBO लाइव महा उत्सव" अंक ५ 

इस बार महा उत्सव का विषय है "होली के रंग"

आयोजन की अवधि :- ४ मार्च गुरूवार से

६ मार्च रविवार तक

 

महा उत्सव  के लिए दिए गए विषय को केन्द्रित करते हुए आप श्रीमान अपनी अप्रकाशित रचना साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते है साथ ही अन्य साथियों की रचनाओं पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते है | उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम निम्न है ...

विधाएँ
  1. तुकांत कविता
  2. अतुकांत आधुनिक कविता
  3. हास्य कविता 
  4. गीत-नवगीत
  5. ग़ज़ल
  6. हाइकु
  7. व्यंग्य काव्य
  8. मुक्तक
  9. छंद [दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका वग़ैरह] इत्यादि |

साथियों बड़े ही हर्ष के साथ कहना है कि आप सभी के सहयोग से साहित्य को समर्पित ओबिओ मंच नित्य नई  बुलंदियों को छू रहा है OBO परिवार आप सभी के सहयोग के लिए दिल से आभारी है, इतने अल्प समय  में बिना आप सब के सहयोग से रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड बनाना संभव न था |

इस ५ वें महा उत्सव में भी आप सभी साहित्य प्रेमी, मित्र मंडली सहित आमंत्रित है, इस आयोजन में अपनी सहभागिता प्रदान कर आयोजन की शोभा बढ़ाएँ, आनंद लूटें और दिल खोल कर दूसरे लोगों को भी आनंद लूटने का मौका दें |

( फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 04 मार्च लगते ही खोल दिया जायेगा )

यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें |

 

नोट :- यदि आप ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के सदस्य है और किसी कारण वश महा इवेंट के दौरान अपनी रचना पोस्ट करने मे असमर्थ है तो आप अपनी रचना एडमिन ओपन बुक्स ऑनलाइन को उनके  इ- मेल admin@openbooksonline.com पर ४ मार्च से पहले भी भेज सकते है, योग्य रचना को आपके नाम से ही महा उत्सव प्रारंभ होने पर पोस्ट कर दिया जायेगा, ध्यान रखे यह सुविधा केवल OBO के सदस्यों हेतु ही है |

 

मंच संचालक

विवेक मिश्र "ताहिर"

 

 

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Replies to This Discussion

वाह मज़ा आ गया आपके

 सासुजी ससुरजी के सेवा में ,
पागल ननदोइया हरदम फेरा में ,

का जवाब नही ,बधाई गुरु जी |

गुरु जी गज़ब 

 

सब को ले आये ..कविता में..गणेश जी भी और गुरु जी भी| बहुत सुन्दर और मार्मिक अभिव्यक्ति| बधाई हो|

जानदार आंचलिक रचना के लिए रवि जी को बहुत बहुत बधाई।
ख़ूबसूरत रचना ।
vah bhai
रंग बिरंगी रंग से गोरी लगती हो कमल ,
एक रंग और लेलो मुझसे वो हैं मेरा प्यार ,
की हरदम साथ चलूँगा तुझी से प्यार करूँगा ,
बदल जाएगी दुनिया ना बदलेगा मेरा प्यार ,
की एतबार तू करले जरा सा प्यार तू करले ,
संच में मैं तो हो जाऊंगा गोरी माला माल ,
रंग बिरंगी रंग से गोरी लगती हो कमल ,
खुशिया लेकर आएगी ये रंगों की तेवहार ,
इस फागुन मेरे रंग में रंगजा मेरे दिलदार ,
की एतबार तू करले जरा सा प्यार तू करले ,
bahut sundar likha hai aapne...
वाह वाह रवि गुरु जी !
ek aur badhiya prastuti guru jee...bahut hi badhiya
अच्छा प्रयास,

गुरु को गुरुआइन रंगे, कभी न छूटे रंग.
रंग भंग में पड़े तो, होता रंग में भंग..
हम भी पढ़ कर मालामाल हो गये गुरु जी बहुत खूब
जय हो गुरु , बहुत बढ़िया

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