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राणा जी को बधाई एक ख़ूबसूरत मज़ाहिय ग़ज़ल के लिये,
हर शेर, लाज़वाब है क़ाबिले दाद, पर मतला में आपने अपने
शेरे-दिल को मेमेना क्यूं बना दिया है ये कोई और कहता तो
बात और थी।
बड़े नये नये विचार लेकर आ रही नौजवान शायरी।
आजकल तो बाप की साईकल बेचकर नयी पीढ़ी बाईक इसी लिये ले ही रही है कि 'लिफ़्ट उसने मॉंग ली तो दिन हरा हो जायेगा' ।
अब होली की ग़ज़ल तो चुटकुला भी हो जाये तो क्या फर्क पड़ता है।
आशीष भाई मज़ा आ गया न
जब सारे लोग नाली में गिरे हुए थे तभी ये गज़ल हुई थी .....इसलिए संगत का असर आ गया है|
बहुत बहुत शुक्रिया|
waah rana bhai waah....ab to aap bhi aa gaye rang me...bole to ekdam faaram me aa gaye hain......waise likha hai aapne bahut hi zordaar...............
waah jogira waah...waah khiladi waah..
प्रीतम बाबू
दूसरा वाला शेर आपके लिए है
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