For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चलो
लौट चलो
फिर उसी झील के किनारे
जहां आज तक
लहरों पे चाँद मुस्कुरता है
किनारों की कंकरियां
झील में सुप्त अहसासों को
जगाने के लिए आतुर हैं
वो शिला जिस पर बैठ कर
हमने दृग स्पर्शों से
मौनता का हरण किया था
आज एकान्तता में
उन्ही मधु पलों को जीने के लिए
कसमसा रहा है
हाँ और न के अंतर्द्वंद से
स्वयं को निकालो
प्रणय पलों के स्पंदन से
यूँ आँख न चुराओ
लौट आओ
हम अपने अस्तित्व को
अमर पहचान देंगे
अपने पावन प्रणय को
जीवित रहने का अभयदान देंगे
मेरे मौन आग्रह को
अपनी अधखुली पलक से
लौट चलने की स्वीकृति दे दो
निर्जीव होती अभिलाषाओं को
जीने का अवसर दे दो
एक बार
बस एक बार फिर
अपनी खोई मुस्कराहट को
लौटाने का वादा कर लो
झील की लहरों पर
उदास चाँद से
बतियाने का वादा करलो


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 362

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on April 24, 2015 at 9:36pm

आदरणीय   मिथिलेश वामनकर  जी रचना पर आपके स्नेह का तहे दिल से शुक्रिया। नेट व्यवधान के कारण प्रत्युत्तर में विलम्ब के लिए क्षमा चाहूँगा सर। 

Comment by Sushil Sarna on April 24, 2015 at 9:36pm

आदरणीय   लक्ष्मण रामानुज लडीवाला  जी रचना पर आपके स्नेह का तहे दिल से शुक्रिया। नेट व्यवधान के कारण प्रत्युत्तर में विलम्ब के लिए क्षमा चाहूँगा सर। 

Comment by Sushil Sarna on April 24, 2015 at 9:34pm

आदरणीय   Mohan Sethi 'इंतज़ार' जी रचना पर आपके स्नेह का तहे दिल से शुक्रिया। नेट व्यवधान के कारण प्रत्युत्तर में विलम्ब के लिए क्षमा चाहूँगा सर। 

Comment by Sushil Sarna on April 24, 2015 at 9:34pm

आदरणीय  shree suneel जी रचना पर आपके स्नेह का तहे दिल से शुक्रिया। नेट व्यवधान के कारण प्रत्युत्तर में विलम्ब के लिए क्षमा चाहूँगा सर। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 21, 2015 at 8:51pm

आदरणीय Sushil Sarna जी  इस सुन्दर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 21, 2015 at 6:59pm

भावपूर्ण  रचना   

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 20, 2015 at 7:58am

आदरणीय Sushil Sarna जी लौट आने का मौन आग्रह अच्छा है ...बधाई ..सादर 

Comment by shree suneel on April 20, 2015 at 1:34am
//झील की लहरों पर
उदास चाँद से
बतियाने का वादा कर लो//
सुन्दर रचना आदरणीय सुशील सरना सर. बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
16 minutes ago
Sushil Sarna posted blog posts
16 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सीमा के हर कपाट को - (गजल)-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२कानों से  देख  दुनिया  को  चुप्पी से बोलना आँखों को किसने सीखा है दिल से…See More
16 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
21 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
21 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन कुंडलियाँ छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service