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" आज कैसे याद किया , कोई काम था क्या ?
" नहीं यार , बस यूँ ही तुम्हारी याद आई और चला आया "|
कुछ देर बात चीत चलती रही और फिर वो उठ कर चल दिया | घर पहुँचते ही पत्नी ने पूछा " बात की उनसे , क्या कहा उन्होंने !
" हाँ , कहा तो हैं , देखो क्या होता हैं "|
" जब झूठ बोल नहीं सकते तो क्यों कोशिश करते हो | उनका फोन आया था , कह रहे थे जरूर कोई बात थी लेकिन मुझे बताया नहीं | अभी भी अपने उसूलों का पक्का हैं "|
" देखो तुम्हारे इतना कहने पर मैं चला तो गया था लेकिन कहते नहीं बना | खैर कहीं न कहीं मिल ही जाएगी उसको नौकरी "|
" हाँ , कुछ न कुछ तो कर ही लेगा बेटा , लेकिन तुम्हारे उसूलों की कीमत पर नहीं " और उसने उनका हाँथ अपने हांथों में कस कर थाम लिया | उनके चेहरे पर गहरे सुकून का भाव छा गया , उनके उसूल अभी भी अक्षुण्ण थे |
मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment by विनय कुमार on July 8, 2015 at 10:16am

 बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी , सादर धन्यवाद..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 8, 2015 at 1:27am

वाह ! 

दिल से शुक्रिया ऐसी प्रस्तुति केलिए.
शुभ-शुभ

Comment by विनय कुमार on July 1, 2015 at 12:15am

बहुत बहुत आभार आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी , सादर ..

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 1, 2015 at 12:11am

जिन्दगी में उसूल ही तो है जिसके बदौलत आदमी महान बनता है वरना....बहुत अच्छी लघुकथा हुई है! आदरणीय विनय कुमार जी!

Comment by विनय कुमार on June 28, 2015 at 11:01pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय श्री सुनील जी , सच्चाई और उसूलों का मार्ग कंटक युक्त ही होता है.

Comment by shree suneel on June 28, 2015 at 6:48pm
प्रभावित करती लघु-कथा... उसूलों के पक्के लोगों के साथ थोड़ी मुश्किलें तो होती हैं लेकिन एक संतोष भी होता है.
बधाई आपको इस प्रस्तुति के लिए आदरणीय.
Comment by विनय कुमार on June 28, 2015 at 2:56pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी , लघुकथा आपको पसंद आई । उसूलों पर टिके रहना आसान नहीं होता.

Comment by विनय कुमार on June 28, 2015 at 2:55pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , लघुकथा आपको पसंद आई .

Comment by विनय कुमार on June 28, 2015 at 2:54pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय मिथलेश वामनकर जी , लघुकथा आपको पसंद आई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 28, 2015 at 2:10pm

बहुत सुन्दर कथा लगी भाई विनय जी , हार्दिक बधाइयाँ । हर उसूल पसंद को अच्छी ही लगेगी ।

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