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आपकी सटिक टीप्पणी के लिऐ बहुत बहुत आभार.
सुंदर लघु कथा में सुंदर सन्देश भी | भले परिवार की बुनियाद हिल चुकी हो, अब रिश्ता स्वीकार करने के अलावा को चारा नहीं |
प्रतिक्रिया के लिऐ अभारी हु Laxmanji.
दरअसल बुनियाद बहुत ही कच्ची थी जिसके परिणाम स्वरुप इमारत टिक न सका, अच्छी लघुकथा हुई है आदरणीय मदनलाल जी, वर्तनी में हुई टंकण त्रुटि को सुधार लीजियेगा, बधाई इस प्रस्तुति पर.
सार्थक प्रतिक्रिया के लिए एवम टंकण त्रुटि ध्यान मे लाने के लिए आ. गणेशजी "बागी" आपका आभारी हु.
बुनियाद
सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज रहा था।पूरन और गंगा के बेटे मोहन को चिकित्सा शिक्षा में गोल्ड मेडल सम्मान महमहिम राज्यपाल के हाथों मिलने वाला था ।
मोहन बचपन से ही प्रतिभा का धनी रहा। पूरन को सब कहते मोहन तुम्हारा नाम रोशन करेगा देख लेना।
प्रतिभा माहौल नहीं अवसर देखती है। मध्यमवर्गीय परिवार ने बच्चे की राह में आने वाले सारे अवरोध हटाने का प्रण लिया।
बेटा अपना लक्ष्य प्राप्त कर सके , माता, पिता ने अभाव झेलकर, पढ़ाई के बीच आने वाली मुश्किलें आसान कर दी ।
उन्होंने बड़ी प्रतिबद्धता के साथ बेटे के व अपने अरमानों की गहरी खुदाई कर, सुसंस्कारों का लोहे का ढाँचा बनाया, एकाग्रता का पानी, सांम्जस्य की ईंटें, तल्लीनता की सीमेंट, पर्याप्त सुविधाओं की रेत , उस पर मोहन की मेहनत की गिट्टी का परिणाम आज सबके सामने था ।
आज माता, पिता ही नहीं बेटा भी भावविहल हो रहे थे।
मंच पर मोहन कुमार की शान में क़सीदे पढ़े जा रहे थे, दूसरी ओर माता, पिता की आँखों से ख़ुशियाँ छलकी जा रही थी ।
आज माता,पिता को परवरिश की बुनियाद पर गर्व महसूस हो रहा था,सफल बेटे को मज़बूत इमारत के रूप में पाकर।
मौलिक व अप्रकाशित
नीता कसार जबलपुर
आ Nita Kasar जी
प्रणाम.
आप ने मेहनत की बुनियाद पर सफलता की बेहतरीन लघुकथा लिखी है.
बधाई आप को.
मध्यमवर्गीय परिवार ने बच्चे की राह में आने वाले सारे अवरोध हटाने का प्रण लिया।
///पढ़ाई के बीच आने वाली मुश्किलें आसान कर दी ।
उन्होंने बड़ी प्रतिबद्धता के साथ बेटे के व अपने अरमानों की गहरी खुदाई कर, सुसंस्कारों का लोहे का ढाँचा बनाया, एकाग्रता का पानी, सांम्जस्य की ईंटें, तल्लीनता की सीमेंट, पर्याप्त सुविधाओं की रेत , उस पर मोहन की मेहनत की गिट्टी का परिणाम आज सबके सामने था ।// ये पंक्तियां नहीं भी होती या संक्षिप्त होती तो भी लघुकथा प्रभावी रहती .
इस में अनकहा भी कुछ आ जाता .
ऐसी मेरी निजी राय है.
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