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आ० तेजवीर सिंह जी, लघुकथा का प्रारम्भ तो बहुत अच्छी तरह से हुआ, मध्य तक पहुंचने तक लघुकथा का प्रभाव कायम रहा। किन्तु दुर्भाग्य से अंत तक पहुंचते पहुँचते रचना महज़ एक सरकारी विज्ञापन बनकर अपना प्रभाव खो बैठी। बहरहाल, आयोजन में सहभागिता हेतु अभिनन्दन स्वीकारें।
आदरणीय योगराज जी, लघुकथा के विश्लेषण हेतु और उचित मार्ग दर्शन हेतु आपका हार्दिक आभार !
आदरणीय नीरज जी, सचिन जी, नीता जी,हार्दिक आभार , लघुकथा के अवलोकन हेतु, सराहना हेतु!
सर कहानी अच्छी हैं प्रोढ़ शिक्षा का भी सुझाव साथ में दिया जा सकता था
सकारात्मक सोच को दर्शाती हुई लघुकथा ,माहौल बदलने से सोच भी बदलती है बधाई इस रचना के लिए आ तेजवीर जी
आदरणीय नीलिमा शर्मा जी, मीना पांडे जी ,हार्दिक आभार!आप लोगों को लघुकथा अच्छी लगी!हार्दिक धन्यवाद!
"सूरज सा चमके हम ,स्कूल चले हम " बढ़िया शिक्षाप्रद कथा हुई ,आदरणीय तेजवीर जी .
बहुत शानदार प्रयास हुआ है आदरणीय तेज वीर सिंह जी। किन्तु रचना अंत तक आते आते अपनी पकड़ ढीली कर देती है। दाद कुबूल कीजिए।
आदरणीय तेजवीर जी शिक्षा के महत्त्व को दर्शाती बढ़िया प्रस्तुति हुई है. हार्दिक बधाई.
बहुत सार्थक रचना बनी है , हार्दिक बधाई आपको आ० तेज वीर सिंह जी
वाह ! बहुत ही अच्छी रचना आ तेज वीर सिंह जी आप की . बधाई आप को .
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