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//....... ऐश्वर्य का बखान जारी था जो चार माह उन्हें अपने पास रखकर खोटे सिक्के सा यहाँ पटक गया था। //
चार माह किसको अपने पास रखकर किसने खोटे सिक्के की तरह पटक दिया गया था ? यह बस स्पष्ट नहीं हो पा रही है प्रिय ज्योत्स्ना कपिल जी।
वाह .... बहुत ही बढ़िया संदेशपरक कथा हुई है आदरणीय ज्योत्स्ना कपिल जी ! किसी भी बात का जवाब मुँह से नही अपने प्रयास और प्रदर्शन से देना चाहिए ! हार्दिक बधाई आपको !
आदरणीय ज्योत्सना जी, बहुत ही सटीक और सशक्त लघुकथा!हार्दिक बधाई!जीवन में जो शिक्षा का महत्व है ,उसका स्थान कोई नहीं ले सकता,यही उज्ज्वल भविष्य की बुनियाद है!पुनः बधाई!
आदरणीया ज्योत्स्ना जी आपने लघुकथा के माध्यम से माँ को संस्कारों की बुनियाद रखते हुए शाब्दिक किया है, गहरे तक प्रभावित कर रहा है. बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर ...
वाह ! आ ज्योत्सना जी बहुत बहुत बधाई इस लघुकथा के लिए
शानदार प्रयास हुआ है आदरणीया ज्योत्सना जी। आदरणीय योगराज जी से सहमत हूँ कि "चार माह किसको अपने पास रखकर किसने खोटे सिक्के की तरह पटक दिया गया था ?" यह बात स्पष्ट नहीं हो पा रही है। दाद कुबूल कीजिए
बहुत सुन्दर लघुकथा , कहने से बेहतर है कर के दिखाना | बधाई इस लघुकथा पर आदरणीया ज्योत्स्ना कपिल जी.
आम घरों की कहानी .बहुत ही बढ़िया लिखा आदरणीय ज्योत्स्ना जी . सार्थक सही बुनियाद .
आदरणीया ज्योत्सनाजी
बचपन में अच्छी सीख अच्छे संस्कार की बुनियाद है।
सुंदर कथा , हार्दिक बधाई
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