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निःसंदेह बहुत मजबूत बुनियाद !! बच्चे की प्रथम गुरु तो माँ ही होती है | अति उत्तम बधाई आ. प्रवीन झा जी
Saprem aabhar...obo par meri pahli rachna ko protsahit karne ke liye
"मेरी माँ एक मजबूत महिला थी"बस बुनियाद की यही कहानी है | सुंदर
सुन्दर ,लघु व सटीक संदेश देती लघुकथा। बधाई आ.प्रवीन झा जी।
आदरणीय प्रवीण झा जी, एकदम सधी हुई कथा के माध्यम से आपने 'बुनियाद' विषय को प्रभावशाली ढंग से परिभाषित करने का सदप्रयास किया है । शुभकामनाएं ।
अति सुन्दर लघुकथा भाई प्रवीण झा जी, वाह। ओबीओ पर आपका हार्दिक स्वागत है।
बचपन-माँ -बुनियाद -सफलता ,इन चार शब्दों से चार पंक्तियों की ख़ूबसूरत रचना .
बहुत सुन्दर लघुकथा हुई है आदरणीय प्रवीन जी। दाद कुबूल कीजिए
आदरणीय प्रवीण झा जी बहुत कम शब्दों लघुकथा का मर्म शाब्दिक हुआ है. बहुत बहुत बधाई. अंतिम पंक्ति जबरदस्त प्रभाव डालती है.
हर इंसान के जीवन की बुनियाद उसकी माँ ही रखती है , बधाई सफल रचना के लिए आ० प्रवीन झा जी
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