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आपको लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से आभार आपका आ० वीरेंद्र वीर जी
बेटे -बेटी के भेद भाव पर एक सशक्त प्रस्तुति .
आपको लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से आभार आपका आ० रीता जी .
आपको लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से आभार आपका शशि जी
आ०
राजेश कुमारी जी,लगुकथा की अंत की पक्तियां एक खासा असर छोड़ गई
आपको लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से आभार आपका आ० मोहन बेगोवाल जी
आदरणीया राजेश कुमारी जी, ऐसा लग रहा है लघुकथा पोस्ट करने में थोड़ी जल्दबाजी हो गई है। नए निर्माण कार्य की शुरुआत करते समय शिलान्यास की गतिविधियाँ किसी कन्या से ही करवाई जाती है। अगर कोई अपवाद मान भी लिया जाए फिर भी यह कोई ऐसा मौका या घटना नहीं है जिससे छ: वर्षीय बच्ची के दिल में कोई अलग खिचड़ी पकनी चाहिए। लघुकथा किसी भी एंगल से खरी नहीं उतर पा रही है।
जी नहीं आ० विनोद जी कोई जल्दी बाजी नहीं हुई थी शायद आप ने अपने यहाँ के ही रीतिरिवाजों को देखा होगा गाँव में तो ग्रह प्रवेश की पूजा में भी बेटा पापा के साथ बैठता है बेटी को कोई नहीं पूछता ये बात वास्तविक तथ्यों के आधार पर लिखी है मैंने रही बात ६ वर्षीय बच्ची फर्क नहीं समझेगी ये कैसे सोच सकते हैं मैं नहीं समझती की कोई भी संवेदन शील हृदय फर्क करते वक़्त अपनी लड़की के मन को न पढ़ सकता हो|खैर लघु कथा आपको संतुष्ट नहीं कर पाई इसका मुझे खेद है|
अति लघु कथा में लड़के और लड़की में भेद की बुनियाद को सपष्ट भाव दिए है आपने आद राजेश कुमारी जी | बहुत बहुत बधाई
आपको लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से आभार आपका आ० लक्ष्मण जी सच कहा लघु कथा छोटी जरूर है किन्तु जो सन्देश देना चाहती थी वो पाठकों तक पँहुच रहा है इस बात की ख़ुशी है
पिघलती बुनियाद
‘सुबह से दोपहर होने को आ गई पर अभी तक कोई सवारी नहीं मिली, कहीं ‘आज भी’ भूखे पेट ही न सोना पड़े’ रिक्शा स्टैंड पर सवारी के इंतजार में निराश बैठे बुर्जुग रिक्शेवाले ने अपने साथी रिक्शेवाले से कहा
‘अरे चचा ! सूरज तो देखो कैसी आग बरसा रहा है, कौन निकलेगा भला घर से इस भरी दुपहरिया में... लगता है भगवान ने तुम्हारी सुन ली चचा ! देखो लगता है सवारी आ रही है ...।’ पसीने से तरबतर एक आदमी को तेज़ी से रिक्शे की ओर आते देख वो बोला
‘कहिए साॅब, कहाँ चलेंगे?’ बड़े उत्साह से रिक्शा की सीट पर कपड़ा मारते हुए बुर्जुग रिक्शेवाले ने पूछा
‘माॅडल टाऊन में जो मशहूर हार्ट स्पैशलिस्ट हैं ना उन्ही के क्लीनिक जाना है...।’
‘नहीं साॅब ! मैं उस तरफ नहीं जाउंगा । अरे तू ले जा साॅब को माॅडल टाऊन ।’ बुझे स्वर में उसने साथी रिक्शेवाले से कहा
दूसरा रिक्शेवाला उसे बैठा चल पड़ा।
‘उस बूढ़े ने चलने से मना क्यों कर दिया भला ?’ सवारी ने रिक्शेवाले से पूछा
‘वो जो डाॅक्टर हैं ना... वो उसका बेटा है.. इसलिए...।’
(मौलिक व अप्रकाशित)
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