For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बटवारा ( लघुकथा)

बटवारा
“माँजी के सामान पर हम सब का बराबर अधिकार है.” सास की तेरहवीं के दिन ही बड़ी बहू ने कहना शुरू कर दिया. मझली ने भी हाँ में हाँ मिलाई. “हाँ हाँ क्यों नहीं भाभी वैसे भी हम अपने साथ कहाँ कुछ ले जा पाएंगे..” छोटे पुत्र अमर ने कहा तो पत्नी ने खा जाने वाली नज़रों से घूरा.अब तक जो आँगन मेहमानों से भरा था वो घर-गृहस्थी के सामान से भर गया.चांदी के गिलास-प्लेट,पीतल के कलश,बड़े-बड़े थाल, सब आँगन में सज गए. पुराने डिब्बों से लेकर दीवार घड़ियाँ बिस्तर सब छोटा बड़ा सामान आँगन में जुट गया था..
दस मिनट बाद मैदान खाली था. छोटे बेटे ने झुककर फर्श से कुछ उठाया तो दोनों बहुओं की सांस थम गई... “ये क्या है जो हमसे छूट गया.” कागज़ का टुकड़ा था..दादी के ज़माने की वो तस्वीर, जिस में माँ घूँघट में और तीनों भाई निक्कर में थे..
सीमा सिंह कानपुर
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 631

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा on August 16, 2015 at 9:15am

सीमा जी : लुप्त प्राय रिश्तों के दर्द को उकेर दिया आपने . अच्छा लगा ; सुरेन्द्र अरोड़ा 

Comment by Archana Tripathi on August 16, 2015 at 12:24am
अपनत्व की बची कशिश को दर्शाती सुंदर लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय सीमा जी
Comment by kanta roy on August 15, 2015 at 7:47am
बहुत ही सुंदर और सार्थक लघुकथा बनी है आपकी ये लघुकथा । बधाई स्वीकार कीजिये आदरणीया सीमा जी ।
Comment by Omprakash Kshatriya on August 14, 2015 at 7:28am

कभीकभी खोते सिक्के ही काम आते है . सुन्दर लघुकथा . बधाई. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 13, 2015 at 10:45pm

आदरणीया सीमा जी निराशा से मन को भर देती लघुकथा में अचानक पंचलाइन के रूप में आशा की किरण का आना सुखद रहा .... इस सुन्दर लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by pratibha pande on August 13, 2015 at 5:50pm

वाह सीमा जी ,जोड़ने और तोड़ने  के समीकरणों के बीच एक छोटा सा सुखद एहसास, बधाई आपको इस रचना के लिए   

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
"आ. समर सर,मिसरा बदल रहा हूँ ..इसे यूँ पढ़ें .तो राह-ए-रिहाई भी क्यूँ हू-ब-हू हो "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
"धन्यवाद आ. समर सर...ठीक कहा आपने .. हिन्दी शब्द की मात्राएँ गिनने में अक्सर चूक जाता…"
yesterday
Samar kabeer commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
"जनाब नीलेश 'नूर' जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई, बधाई स्वीकार करें । 'भला राह मुक्ति की…"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा पाण्डे जी, सार छंद आधारित सुंदर और चित्रोक्त गीत हेतु हार्दिक बधाई। आयोजन में आपकी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी,छन्नपकैया छंद वस्तुतः सार छंद का ही एक स्वरूप है और इसमे चित्रोक्त…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी, मेरी सारछंद प्रस्तुति आपको सार्थक, उद्देश्यपरक लगी, हृदय से आपका…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा पाण्डे जी, आपको मेरी प्रस्तुति पसन्द आई, आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी उत्साहवर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार। "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप उत्तम छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service