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आदरनीय अच्छी लघुकथा हुई, अभी मर्द मानसिकता में अभी भी ऐसे सवाल अपना घर बनाए हैं
सवाल जब लीक पर चलते हुय चरित्र हनन करने लगे तो उसका कोइ जबाब नहीं होता |..बढ़िया कथा ..बधाई आपको आदरणीय | नमस्ते ..सादर
आदरणीय मदनलाल जी बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है. ऐसे रिश्तों में ऐसे प्रश्न निरुत्तर ही रहे तो बेहतर ... बधाई इस प्रस्तुति पर
सच कहा ये रिश्तों के प्रश्न हैं जिनके इस मोड़ पर आकर उत्तर ख़त्म हो जाते हैं और सबूत दिखाने के बाद तो बिलकुल नहीं विश्वास की दीवार धराशाई हो जाती है तो रिश्ते कहाँ रह जाते हैं |बहुत अच्छी लघु कथा लिखी आ० मदनलाल जी हार्दिक बधाई
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