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धन्यवाद महोदय ।
जी हाँ ,हर साल लेते हैं , हम सरकारी कर्मचारी है ,सरकार के सब आदेशों का पालन करना हमारा कर्तव्य है , आदेश था तो
हमने शपथ ली ।".......कितना सत्य लिखा है आपने ,बिलकुल ये ही होता आ रहा है बरसों से , हार्दिक बधाई आपको इस रचना पर आदरणीय
आभार आदरणीय ,आपने समय दिया ।
धन्यवाद बंधु ।हमारे आसपास बिखरी घटनाएं हैं ।
आज के परिवेश में संकल्प का सही मतलब दर्शाया है आपने आ.Pawan Jain जी |इस सुंदर कथानक वाले रचना पर आपको बधाई |
हार्दिक बधाई आदरणीय पवन जैन जी!बहुत शानदार लघुकथा!
सही कहा, शपथ तो दिखावे के लिए रिवाज़ों का पालन करने के लिए होती है बस। अच्छी कथा आ पवन जी
सच्ची श्रद्धान्जलि (लघु कथा)
शराब बंदी के लिए आमरण अनशन करते एक समाजसेवी को 40 दिन के अनशन के बाद नाजुक हालत में सरकार ने अस्पताल की गहन इकाई कक्ष में भरती कराया जहाँ उसकी मौत हो गई | तब उसके बेटे ने सकल्प लिया कि मेरे पिता की शाहादत बेकार नहीं जाने दूंगा और लोगों में शराब सेवन की आदत छुडाकर ही दम लूंगा | वह एक संगठन बनाने में जुटा और गाँव गाँव जाकर लोगो को शराब के नुक्सान बताकर जागरूक करने लगा | संगठन ने हर सोमवार को सुखा-दिवस मनाने व शराब नष्ट करने करवाने का माहौल बनाना शुरू किया |
शराब सेवन में पैसो की बार्बादी से दुखी गरीब महिलाओं को साक्षर करने का संगठन ने बीड़ा उठाया | जारूकता के साथ ही युवको से शराब न छूने का व्रत लेने और चुनावों में शराब बांटने वाले नेताओं को बेनकाब करने की मुहीम रंग लायी और वर्तमान सता दल चुनाव हार गया | धीरे धीरे शराब से होने वाली सरकार की आय भी बहुत कम हो गयी और बिना शराब-बंदी की घोषणा के स्वतः ही शराब के ठेके और दुकाने बंद होने लगी | अनशन करते शहीद हुए समाज सेवी की प्रथम बरसी पर अपने पिता के संकल्प को पूरा करने के ठोस और व्यावहारिक प्रयास पर लोगों ने बेटे की प्रशंसा करते हुए कहाँ कि एक बेटे की पिता के के प्रति यही सच्ची श्रद्धान्जलि है |
(मौलिक अ अप्रकाशित)
आदरणीय लड़ीवाला जी मुझे ऐसा लग रहा है कि यह लघुकथा लघुकथा के मापदंड पर खरी नहीं उतर पा रही क्योंकि लघुकथा एक पल विशेष की होती है. बाकि यहाँ लघुकथा के ज्ञानीजन मौजूद हैं जो अधिक अच्छे से बता सकेंगे. आशा है आप मेरी बात अन्यथा नहीं लेंगे.
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