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आ० शशिजी --अच्छी कथा कही आपने
आदरणिया शशि बंसल जी , दिल को छू लेने वाली कामयाब लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई
जिसके पास जितना ज्यादा पैसा हो जाता है उसकी महत्वाकांक्षा और बढती जाती है एक तरफ एक मजदूर देसी घी से संतुष्ट हो जाता है दूसरी और हीरे के हार व् नई कार से भी संतुष्टि नहीं मिलती यही तो वर्गीकरण गेप है जो आपने इस लघु कथा में बहुत सुघड़ता से उकेरा है हार्दिक बधाई आपको शशि जी |
सुंदर कथा के लिए बधाई शशि जी।
हरेक व्यक्ति की आकांक्षा अपने स्तर की होती है. सुंदर बधाई.
बहुत खूब , शशि जी। आपने सीधी सरल सच्ची बात कितने लाड से कही !
इस गोष्ठी में बहुत से रचनाकारों की तरह आपने भी दो पात्रों की तुलना से कथा रची।
बहुत से लोग इसे अच्छी बात नहीं मानते।
मगर मैंने किसी समीक्षक की बजाए पाठक की तरह पढ़ा और बधाई देने का लोभ संवरण नहीं कर पा रहा
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