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धन्यवाद ,आदरणीय सतविंदर जी . अब ये चूक कभी नहीं होगी .
पवित्र मन की आकांक्षाऐं सदा पूरी होती ही है। इतनी सार्थक प्रवाहमय कथा में कालखंड आना दुखी कर गया। लघुकथा लेखन का तो ऐसा ही है कि सावधानी हटी दुर्घटना घटी। बधाई इस प्रस्तुति के लिए।
धन्यवाद काँता जी , ये मुझसे होने वाली बहुत आम गलती है . हमेशा ही करती हूँ लिखने की धुन में .शायद आज इतनी बार लिखूंगी तो अब याद रहेगा .
मुझे आपकी कथा बहुत पसंद आई। आपको किस बात की ग्लानि हो रही है, नहीं मालूम।
सानंद रहें , खूब लिखें। आपको बहुत बढ़िया लिखना आता है।
इस रचना को पढ़ कर मैं आज से आपका प्रशंसक हुआ। लिस्ट में मेरा नाम सबसे ऊपर लिख लीजिए।
आदरणीय प्रदीप नीलजी, आप क्या साबित करना चाहते हैं यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हुआ. आप वैयक्तिक प्रभाव प्रतिस्थापित करने के इतने आग्रही क्यों हैं ? आदरणीय, इससे तो सामूहिकता का सात्विक प्रयास बार-बार प्रताड़ित होता दिखता है.
यह एक सामूहिक मंच है. यहाँ सदस्यों से आकांक्षित व्यवहार और अपेक्षित आचरण विशिष्ट हैं. इस मंच पर ’सीखने-सिखाने’ की परम्परा है. इसी कारण सदस्य कई-कई विधाओं का अध्ययन कर अपनी समझ बढ़ाने आते हैं. लेकिन सर्वोपरि यह है कि विधा-विशेष के मूलभूत नियम (विधान) ज्ञात हो. इसकी समझ बनते ही आगे के आयाम स्वीकार्य हो पाते हैं. इस क्रम में रचनाकार और पाठक दोनों को अत्यंत संयत और सचेत रहने की आवश्यकता होती है.
यदि आप किसी रचनाकार के उसके गुण-दोष के परिप्रेक्ष्य में प्रशंसक हैं, तो यह आपकी व्यक्तिगत हामी है. इसका सार्वजनिक मंच पर यों प्रदर्शन न आवश्यक है, न शोभा देता है. अन्यथा उनके लिए घोर बाधा खड़ी हो जाती है.
किसी की समझ उसकी मनोदशा का परिचायक होती है, आदरणीय. काश यह मंच आपकी ऐसी सोच का कायल होता. अनुरोध है, व्यष्टि की परिधि के अलावे भी हम संसार देखें.
शुभेच्छाएँ.
धन्यवाद आदरणीय विजय जी मैं बिलकुल आपकी सलाह अनुसार इसे ठीक करना चाहूंगी .
जोशी जी उससे क्या हो जाएगा ?
मैंने एक उपन्यास पढ़ा था ( नाम याद नही कर पा रहा ) जिसका पात्र दुर्घटना की वजह से रेत के अंदर दफन है। महज़ कुछ ही क्षणों में उसका पूरा जीवन उसकी आँखों के सामने घूम जाता है और यही कथानक है। अब उसे लघुकथा कह देंगे ?
आप कथा लिख रहे हैं उसमें दस रुपए रु का जिक्र है। सन 1912 में यह राशि बहुत बड़ी थी एक सोने का हार खरीदा गया। सन 2036 का पाठक इस दस रु पर कितना हंसेगा। तो आप इसे कैसे लिखेंगे ?
समझ नहीं आता यह कालखण्ड दोष होता क्या है ?
कृपा करके समझाएं , विस्तार से।
धन्यवाद आदरणीय शशि जी .
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