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शुभाशीष भैया
कहते-कहते ख़ुशी में हँसते-हँसते खाँसने लगे दोनों की आँखों का गीलापन भी सबको साफ़ दिखाई दे रहा था |// जान है ये पञ्च लाइन आपकी कथा की , सुन्दर कथा पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया राजेश कुमारी जी
आपको लघु कथा पसंद आई प्रतिभा ज्ञी,दिल से बहुत बहुत आभार आपका लघु कथा के मर्म को महसूस किया आपने मेरा लिखना सफल हुआ |
बहुत प्यारी रचना विषय पर, पंच लाइन बहुत सुन्दर है| बहुत से बच्चे हैं जिनको पिता के भेषभूषा पर शर्म आती है लेकिन वो भूल जाते हैं कि वो हैं तो पिता ही| बधाई इस रचना के लिए
जी विनय कुमार जी आपने लघु कथा का सही मर्म पकड़ा है आपको लघु कथा पसंद आई दिल से बहुत बहुत आभार आपका .
आपकी इस रचना को पढने के बाद मुंह से वाह ना निकले हो ही नहीं सकता| बहुत सुंदर सकारात्मक लघुकथा कही है आदरणीया राजेश कुमारी जी| अपने बुजुर्गों के सम्मान का सन्देश लिए, इस रचना के सृजन हेतु सादर बधाई स्वीकार करें|
आपकी इस प्रतिक्रिया ने मेरे उत्साह को दुगुना कर दिया है आ० चंद्रेश जी आपको लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सफल हो गया दिल से बहुत बहुत आभार आपका|
पगली – ( लघुकथा ) –
डॉ मलिक की पहली पोस्टिंग हरियाणा के एक छोटे से गॉव में हुई थी!चिकित्सालय के पास ही सरकारी मकान मिला था!अकेले ही थे!शादी अभी हुई नहीं थी! दोपहर में एक मरीज़ को देख कर लौट रहे थे कि मंदिर के चबूतरे पर पीपल के पेड के नीचे एक युवती अर्द्ध विक्षिप्त दशा में पडी थी!कुछ बच्चे उसके वस्त्र खींच कर ,उसेपत्थर मार कर परेशान कर रहे थे!डॉ मलिक जिज्ञासा और दयालुता वश उधर मुड गये!बच्चों को डांटा तो बच्चे बोले, "ये तो पगली है"!
"जो भी है पर तुम क्यों तंग करते हो"!
इतने में पगली चिल्ला पडी,"मैं नहीं तुम सब पागल हो,ईडियट"!
उसके मुंह से इंगलिश का शब्द सुन कर डॉ मलिक चौंक गये!
"तुम पढी लिखी हो"!
"यस आई एम पोस्ट ग्रेजुएट इन कैमिस्ट्री "!
डॉ मलिक भौचक्के हो गये!इतनी शुद्ध और स्पष्ट इंगलिश सुनकर!डॉ मलिक उसे समझा बुझा कर अपने साथ चिकित्सालय ले आये!उसके ज़ख्मों पर मरहम पट्टी करा दी!
गॉव में खबर फ़ैली तो कुछ लोग आगये!
"डॉ साहब, यह क्या मुसीबत उठा लाये"!
"यह कोई मुसीबत नहीं, एक पढी लिखी लडकी है"!
"वह तो हम भी जानते हैं,पर आपको इस का इतिहास नहीं पता"!
"तो बताइये इसके अतीत के बारे में"!
"इसने एक मुसलमान से शादी की थी तो गॉव की पंचायत ने इसे सज़ा दी थी!इसका जोडीदार तो डर कर भाग गया "!
"क्या सज़ा दी थी इसे पंचायत ने"!
"आप यह सब छोडो, क्यों पड रहे हो इस पचडे में"!
बीच में लडकी बोल पडी,"इनको बताने में शर्म आती है, मैं बताती हूं!पंचायत ने मेरे घर को आग लगा दी और मेरे परिवार को गॉव छोडने का आदेश दे दिया, पुलिस ने भी इनका साथ दिया "!
"इतना जघन्य कृत्य, आप ऐसा कैसे कर सकते हैं"!
"डॉ साहब, हमारी मानो, इसे यहां से विदा करो नहीं तो आप भी पंचायत के कोप भाजन बनोगे"!
"देखो भाई, यह एक मरीज़ है, मैं इसे इस हालत में यहीं रखूंगा, जो होगा देखूंगा"!
डॉ मलिक ने बाद में लडकी को समझाया,"तुम शिक्षित हो, यहां क्यों जीवन बर्बाद कर रही हो!शहर चली जाओ!इस ज़िल्लत से तो पीछा छूटेगा"!
"डॉ साहब,मुझे मेरे साथी का इंतज़ार है, वह यहीं आयेगा , और अवश्य आयेगा"!
“ चलो ठीक है, यदि तुम्हें ऐसा लगता है कि तुम्हारा साथी आयेगा तो अवश्य इंतज़ार करो!जब तुम्हारी यह आश टूटने लगे तो मुझे अपना साथी समझ लेना”!
मौलिक व अप्रकाशित
सुंदर कथ्य का बखूबी निर्वहन | बधाई आदरणीय !
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