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बहुत प्रभावशाली रचना ,प्रदत्त विषय को पूर्णता से परिभाषित करते हुए ,हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया शशि जी
बहुत उम्दा रचना शशि जी, सभी ने जो तारीफ की उसी की पुनरावृत्ति तो है ही, साथ ही जो प्रवाहपूर्ण संवाद आपने कहा वो भी तारीफ के काबिल है, हार्दिक बधाई स्वीकार करें|
लँगोटिया साथी
बाहर हॉल में मेहमानों का आना ज़ारी था एक दूसरे से परिचित परिवारों के मिलने मिलाने की औपचारिकताएँ भी साथ-साथ चल रही थी| दिन में आज शेखर को पदोन्नति के फलस्वरूप नई रैंक जो मिली थी उसी की ख़ुशी में इस भव्य पार्टी का आयोजन किया गया था| लगभग सभी मेहमान आ चुके थे बस इन्तजार था तो मुख्य अतिथि अर्थात शेखर के बॉस के आने का |
अन्दर शेखर दो बार गाँव से आये अपने पापा को बोल चुका था कि धोती कुर्ता न पहन कर उसकी खरीदी हुई पेंट शर्ट पहन कर हॉल में आये| पर पापा कह रहे थे कि अगर उसे उसके इस लिबास से शर्म महसूस होती है तो वो पार्टी में नहीं जाएँगे| इसी कशमकश के बीच किसी ने खबर दी कि उनके बॉस आ गए हैं | शेखर अपनी पत्नी को लेकर तुरंत हॉल में पँहुचे| पापा ने अपने को एक कमरे में बंद कर लिया |
शेखर ने आगे बढ़कर बॉस से हाथ मिलाया |
उसी समय पास में बैठे एक साधारण सी धोती कुर्ता पहने बुजुर्ग से बॉस ने परिचय करवाते हुए कहा “ ये मेरे पिता जी हैं आज ही गाँव से आये हैं मेरे आग्रह पर मेरे साथ यहाँ आये हैं वर्ना घर पर अकेले बोर होते ”|
शेखर ने आगे बढ़कर उनके पैर छुए और आशीर्वाद पाया| आत्मग्लानि के घड़ों पानी में भीगा सा शेखर तुरंत घर में अन्दर वापस आया और अपने पिता से माफ़ी माँगते हुए उसी लिबास में हाथ पकड़कर हॉल में लेकर आया |
बॉस के पिता से परिचय करवाने तथा उनके पास पापा को बिठाने के लिए अग्रिम पंक्ति में उनके पास जैसे ही शेखर पँहुचा सब यह देख कर दंग रह गए कि दोनों बुजुर्ग हाथ मिलाने के बाद हँसते हुए एक दूसरे से लिपट गए |
जब तक शेखर और बॉस कुछ समझ पाते पापा ने कहा “अरे शेखर बेटा ये तो अपना लँगोटिया साथी चरनु है आज भी बिल्कुल नहीं बदला " कहते-कहते ख़ुशी में हँसते-हँसते खाँसने लगे दोनों की आँखों का गीलापन भी सबको साफ़ दिखाई दे रहा था |
(मौलिक एवं अप्रकाशित )
आपको लघु कथा पसंद आई दिल से बहुत बहुत आभार आपका आ० उस्मानी जी
मनभावन ! कब के बिछड़े थे कहीं ... आज येहाँ आके मिले... गाना याद आ गया | एक पाठक को और क्या चाहिए ? अति-सुंदर,सरस कथा हम सबको उपलब्ध कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद ! बधाई प्रेषित कर रहा हूँ ... गाना अभी भी मन के बैकग्राउंड में बज रहा है | वाह..!!!
आपको लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत आभार आपका आ० सुधीर द्विवेदी जी
लघु कथा के अनुमोदन हेतु आपका दिल से बहुत बहुत आभार अर्चना जी
आपको लघु कथा पसंद आई दिल से बहुत बहुत आभार आपका शशि बंसल जी
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