आदरणीय लघुकथा प्रेमियो,
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जी अर्चना जी आज के अधिकतर युवा नए नए तरीकों से अपने लक्ष्य को अंजाम देते हैं उनके चरित्र में वफ़ा बहुत पीछे छूट गई है
लघु कथा पर आपके अनुमोदन हेतु दिल से आभार आपका |
इससे बड़ा तूफ़ान तो मेरी जिंदगी में आ चुका है माँ पुलिस स्टेशन जा रही हूँ इसकी असली तस्वीर का टूटना बहुत जरूरी है” जमींन पर पड़ी रोमिल की टूटी हुई तस्वीर को घ्रणात्मक नजरों से देखते हुए रूही तेजी से बाहर निकल गई|// सरोगेसी का अच्छा विषय चुना है आपने ,सरोगेट माँ के दिल का तूफ़ान और साथी का धोखा क्या खूबसूरत ताना बाना है , ,मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया राजेश कुमारी जी
.
लघु कथा के मर्म तक पँहुच कर दी गई इस प्रतिक्रिया हेतु दिल से बारम्बार आभार प्रिय प्रतिभा जी मेरा लेखन कर्म सार्थक हुआ .
अच्छी लघुकथा कही है आ० राजेश कुमारी जी, मेरी दिली बधाई स्वीकारेंI फ्लैशबैक तकनीक का कुशलता से उपयोग करके कालखंड दोष से बचने का यह अंदाज़ प्रशंसनीय हैI लेकिन पहले दोनों संवाद बेहद लबे हैं, जो बोझिल से लगते हैंI इन्हें यदि सम्पादित कर चुस्त बना लिया जाए तो सोने पर सूहागा हो जाएI
आ० योगराज जी ,लघु कथा आपको अच्छी लगी मेरा लिखना सार्थक हुआ मैं संतुष्ट हुई हाँ ऊपर के संवादों में जहाँ गुंजाइश होगी कुछ कांट छांट करने का प्रयास करूँगी| आपका दिल से बहुत- बहुत आभार|
आदरनीय राजेश जी , ऐसी घटनाएँ तो रोज़ का चलन हो रहा है , बहुत सारी औरतें यहाँ और वहाँ मंझदार में है, अब तो कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा, जिंदगी में ऐसा भटका सब कुछ बर्बाद करते जा रहा है - सुंदर लघुकथा पेश करने के लिए धन्यवाद
आ० मोहन बेगोवाल जी ,आपको लघु कथा पसंद आई दिल से बहुत बहुत आभार आपका .
आदरणीया राजेश कुमारी जी, अपने भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए पुरुष के चारित्रिक पतन की पराकाष्ठा को दर्शाती मार्मिक कथा . बधाई आपको.बस मुझे रचना कुछ लंबी लगी.
आ० नयना जी ,दिल से आपका बहुत-बहुत आभार |
मोहतरमा राजेश कुमारी साहिबा , दिल को छू लेने वाली, सन्देश देती अच्छी लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
आ० तस्दीक जी ,आपकी उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु दिल से आभार |
आज कल के परिवेश में संवेदनाओं का सौदा करना विकृत मानसिकता का परिचायक ये विसंगतियां विभिन्न वेश में सामने आया करती है .
प्यार में धोखा खाना और इज्ज़त के नाम पर खून के घूंट पीकर रह जाना इन्हीं चीजों ने इन गुनाहों को पनाह देने का कारण बना है . इसलिए इन मानसिकताओं से बाहर निकालने की समाज को बेहद जरुरत है और ऐसे पाखंडियों को सजा दिलाने के लिए हम सबको मिलकर आगे बढना चाहिए . आपकी लघुकथा का कथ्य ने चिंतन के लिए मन को आंदोलित कर दिया है सहसा . बहुत -बहुत बधाई आपको आदरणीया राजेश जी इस सार्थक लघुकथा के लिए .
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