आदरणीय लघुकथा प्रेमियो,
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//महेश रस्तोगी वैद्य पवन गोपीनाथ तिवारी से विगत चार वर्षों से अस्थमा का इलाज करवा रहे हैं । तमाम दवाइयों को आज़माने के बाद रस्तोगी जी आयुर्वेद की शरण में आए और वैद्य तिवारी जी की दावा से अभूतपूर्व लाभ भी हुआ । धीरे धीरे दोनों में आत्मीय संबंध स्थापित हो गए,यदा कदा सांसारिक सुख-दुःख भी साझा करते ।//
विगत चार वर्षों से इलाज करवाने के दरम्यान रस्तोगी जी का आत्मीय सम्बन्ध बैद्य जी से हो गया था.
आदरणीय समर साहब, कथा मुख्य विन्दु से भटकी हुई लगी और निरर्थक बातें अनावश्यक रूप से हावी हुई लगती है. जिन बातों को एक वाक्य में कह सकते थे उसके लिए तीन पक्तियां जाया हुई है. मुआफी के साथ कहूँगा कि जिस कथाकार के लिए आप जाने जाते हैं वो बातें इस लघुकथा में नदारद है. बहरहाल इस प्रयास पर मैं आपको बधाई देना चाहता हूँ, सादर.
आदरणीय समर कबीर जी, प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया सन्देश प्रद लघुकथा लिखी है आपने. इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. यह भ अवश्य है कि लघुकथा तनिक कसावट की मांग कर रही है. सादर
बहुत ही बढ़िया विचार को लघुकथा में ढाला है आदरणीय समीर कबीर जी साहब| असल से नकल की तरफ हम लोग बढ़ते ही जा रहे हैं| भागमभाग की जिंदगी ने बहुत कुछ छीन लिया है| सादर बधाई स्वीकार करें, इस संदेशपरक रचना के सृजन हेतु|
बहुत बढ़िया और सटीक रचना विषय पर, बहुत बहुत बधाई आपको
सपनों की तस्वीर
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विद्यालय की चित्रकला प्रदर्शनी में चित्रों का निरीक्षण करते समय अधिकारी एक चित्र के सामने ठहर गये । विद्यालय कक्षा पांच तक का ही था उसमें ऐसा सुधड चित्र देखकर अचंभित थे सभी । चित्र एक रोटी का था जिसे देखकर लगता था एकदम अभी तवे से उतारी गई हो । बनाने वाले लडके को बुलाया गया उससे अधिकारी ने बडे प्यार से पूछा " बेटा ये चित्र आपने बनाया है । "
लडके ने हां में सर हिला दिया ।
अधिकारी की उत्सुकता बढी " क्या है ईस तस्वीर में ?"
" सपना ! मेरी थाली में भी एक दिन ऐसी रोटी होगी । " लडके ने सर झुकाए हुए जबाब दिया । अधिकारी के तो इस जबाब से होश ही उड गए उसने बच्चे को जाने का इशारा किया और कल सुबह ही प्रधानाचार्य महोदय को मध्याह्न भोजन के हिसाब के साथ अपने कार्यालय में उपस्थित होने का आदेश दिया ।
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( मौलिक एवं अप्रकाशित )
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