आदरणीय लघुकथा प्रेमियो,
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कमाल का लेखन आदरणीया शशि जी, जितना सामने लिखा है उतना ही गूढ़| इस गजब की रचना के सृजन हेतु सादर बधाई स्वीकार करें
आदरणीय शशि बंसल जी इस विषय पर शानदार लघुकथा . बधाई इस लघुकथा के लिए.
वाह वाह वाह
ये बनी न शब्दों से तस्वीर..... विषय को सार्थक कर दिया आपने.
जबरदस्त, जबरदस्त, जबरदस्त, जबरदस्त ......
मार्मिक भी और सधी शैली भी....
शब्द चयन और कसावट गज़ब की
दिल से बधाई .... ढेर ढेर ढेर सारी
तस्वीर
"कमल, बेटा क्या बात हैं, बहुत उद्गीन लग रहे हो । तुम्हारी अम्मा कह रही थी दो तीन दिन से बहुत देर - देर तक जाग रहे हो ।"
"नही पापा कुछ नही , बस कुछ पढ़ाई कर रहा था ।"
"अरे पढ़ाई ? अभी तो तुम्हारे सभी प्रतियोगिताओ के पेपर ख़त्म हुए हैं ; अब कौन सी पढ़ाई कर रहे हो ।"
"पापा वे नये संस्था खुली हैं ना अपनी कॉलोनी में , उन्होने ही एक वाद विवाद प्रतियोगिता आयोजित की हैं "देश की स्थिति " उसी की तैयारी में लगा हूँ ; किंतु एक छोर पकड़ता हूँ तो दुसरी ओर कुछ छूट जाता हैं ।"
"बेटा देश की तस्वीर ही ऐसी हैं, अजब -गज़ब रंग , एक वर्ग खुश तो दूसरा नाराज़ ! "
अप्रकाशित मौलिक
प्रदत्त विषय को लघुकथा के माध्यम से परिभाषित करने का सुन्दर प्रयास हुआ है आ० राजेन्द्र गौड़ जीI बधाई प्रेषित हैI
आदरणीय राजेंदर जी अच्छे भाव प्रस्तुत किए है. बहुत सुंदर रचना. बधाई आप को .
अच्छी लघु कथा लिखी है आ० राजेंद्र कुमार जी हार्दिक बधाई
हार्दिक बधाई आदरणीय राजेंदर जी !बेहतरीन प्रस्तुति!
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