आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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आपकी लघु कथा ने अन्दर तक झकझोर दिया भाई जी और सच्चाई भी यही है तमाशबीन तो तमाशबीन होते हैं जहाँ मनपसंद मसाला मिल जाए उधर का रुख कर लेते हैं गंदी मानसिकता का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है लघु कथा में |बहुत बहुत बधाई आपको |
बहुत कड़वा सच है आजका, लोग ऐसे तमाशों को ज्यादा देखते हैं| बधाई इस बढ़िया प्रस्तुति पर
मोहतरम जनाब समर कबीर साहिब , यह तो इंसानी फितरत है कि जब भी बेहयाई का तमाशा होता है , हया का तमाशा कोई नहीं देखता , प्रदत्त विषय को दर्शाती और सन्देश देती सुन्दर लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
दोनों ही तरफ समाज की नग्न सच्चाई का तमाशा रस्सी पर iहै ,एक तरफ भूख की दो दूसरी तरफ कुछ और, तमाशबीनों को जो भी तमाशा भा जाये... बधाई स्वीकार करें इस रचना पर आदरणीय समर कबीर जी
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