आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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प्राइम टाइम में टीवी का रिमोट हाथ में झूम रहा था।अंगुलियाँ अलग-अलग बटन पर दबाव डाल रही थी।टीवी पर अचानक एक ताजा खबर फ्लेश हुई -अस्पताल में प्रसूता की बच्चे सहित मृत्यु से परिजनों में आक्रोश है। खबर में रूचि बढ़ गई। रिमोर्ट को अँगुलियों की कैद से मुक्ति मिली। खबर में-डॉ और स्टाफ की लापरवाही से हुए इस हादसे से सकते में आए परिजन एवं सम्बन्धी मुख्य मार्ग पर आ गये हैं।उस पर जाम लगाकर प्रशासन से अस्पताल के खिलाफ़ सख्त कार्यवाही की मांग करने लगे।आवेशवश एक-दो वाहनों में तोड़-फोड़ कर मार्ग के बीचों-बीच खड़े कर दिए हैं.अस्पताल की ओर का रास्ता बिल्कुल बंद हो चुका है।जिस तरह से लोगों की भीड़ और आक्रोश बढ़ता जा रहा है आगजनी जैसे हालत भी पैदा हो सकते हैं।
-ये क्या? इस समय ये खबर देखने लगे हो।यही रोज के किस्से.रिमोट दो उस वाले सीरियल पर लगाना है।
पत्नी ने तीखे स्वर में कहा।
पर खबर का मोह रिमोट को उठाकर देने के पक्ष में नहीं था।उधर भी आक्रोश बढ़ रहा था जिसका शिकार शायद रिमोट को ही होना था।पति व पत्नी दोनों की क्रोधी नज़रें टकराई।खबर में इंसानी आक्रोश की शिकार गाड़ियों का ध्यान कर रिमोट सकते में आ गया।
तभी टीवी पर प्रस्तोता की आवाज गूंजी-देखिये प्रसूति के लिए अस्पताल ले जाई जा रही एक अन्य महिला जाम के कारण समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाई जा सकी।बीच सड़क पर गाड़ी में ही दिया बच्चे को जन्म।
अब दोनों आवाक् से खबर देखने लगे.
मौलिक एवं अप्रकाशित
आदरणीय सतविंदर जी,
परिस्थितियों के विरोधाभास को दर्शाते हुए आपने बहुत अच्छी रचना गढ़ी है.
जनआन्दोलन के फलस्वरूप लोगों को हमेशा नुकसान उठाना पड़ता है.. सुंदर लघुकथा आदरनीय सतविंदर जी. बधाई .
ब्रेकिंग न्यूज से अफरा तफरी फैलती या ऐसे ही पतान पर कथा बीधिया हु8
आक्रोशित भीड़ का चरित्र सजीव दर्शाया है आपने सड़क के आक्रोश के साथ साथ घर में टीवी रिमोट के लिए आक्रोश //खबर में इंसानी आक्रोश की शिकार गाड़ियों का ध्यान कर रिमोट सकते में आ गया।// रिमोट भी ख़बरें सुन रहा है और इंसानी आक्रोश से भयभीत है वाह सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई प्रेषित है आपको आदरणीय सतविंदर जी
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