For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।
 
पिछले 68 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-69

विषय - "रिमझिम"

आयोजन की अवधि- 08 जुलाई 2016, दिन शुक्रवार से 09 जुलाई 2016, दिन शनिवार की समाप्ति तक

(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)

 
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

 

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :- 

  • सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान मात्र दो ही प्रविष्टियाँ दे सकेंगे. 
  • रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  • रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
  • प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  • सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.


आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है. 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं. 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.   

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 08 जुलाई 2016, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालक
मिथिलेश वामनकर 
(सदस्य कार्यकारिणी टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

Views: 12964

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

अादरणीय अशोक जी , रचना पर अपनी उपस्थिति देकर अपना मन्तव्य प्रकट करते हुए प्रशंसा करने के लिए विनम्र अाभार। 

आदरणीय टीआर सुकुल साहब, आपकी प्रस्तुत रचना के बारे में क्या कहूँ ? चकित हूँ. जितना कुछ आपका हमने पढ़ा है, बिना शक मैं अबतक की सर्वश्रेष्ठ रचना से गुजर रहा हूँ. आदरणीय, हृदयतल से दाद स्वीकारिये. 

द्रगजल क्या शब्द है ? मृगजल तो आप टाइप कर ही पा रहे हैं ?
शुभेच्छाएँ

अादरणीय सौरभ पाण्डेय जी , रचना पर अापकी इतनी प्रशंसायुक्त टिप्पणी से उत्साहित हूँ। यह जानकर अात्मसन्तोष हुअा कि अपने कविता मे निहित गूढता को सचमुच पहचाना। इसके लिए ह्रदय से विनम्र अाभार प्रकट करता हूँ।
द्रगजल , को "दृगजल " ही पढ़ने का कष्ट करें यह कृतिदेव से यूनिकोड मे कन्वर्शन करने के बाद सुधारना भूल गया था। अब तो संकलन मे ही सुधर सकेगा। ससम्मान।

जनाब डॉ.टी.आर.शुक्ल जी आदाब,विषय को सार्थक करती सुंदर कविता हुई है बधाई स्वीकार करें ।

अादरणीय समर कबीर साहब, कविता की प्रशंसा करने के लिए सादर धन्यवाद।   

बेहतरीन शिल्प में गंभीर भाव पूर्ण प्रस्तुति के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय डॉ. त्रैलोक्य रंजन जी।

रचना पर  प्रशंसा युक्त टिप्पणी के लिए हृदय से विनम्र अाभार , अादरणीय शेख शहजाद उस्मानी  जी. 

विछोह का  कालान्तर 

करता है छिन्न भिन्न,

अन्तर को, निरन्तर। 

होगे तुम पुजारी ! 'सत्य' के ,

पर तुम्हारे, इस 

‘सत्य‘ की उपासना ने

हमें , पल पल ,

कष्ट ही तो दिया है....!!!----आह्ह्ह कहूँ या वाह्ह्ह्ह कहूँ ..बिछोह की वेदना को क्या बेहतरीन तरीके से शाब्दिक किया है दिल की गहराई तक पंहुच गई ये प्रस्तुति |

बहुत  खूब आद० डॉ० सुकुल जी हार्दिक बधाई   

रचना पर  प्रशंसा युक्त टिप्पणी के लिए हृदय से विनम्र अाभार , अादरणीया राजेश जी. 

मन के गगन पे आकर

बरसा रहे फुहारें

बादल ये कारे छाकर

 

कोई उन्हें बताये

लम्बी डगर नहीं है

मदहोश हो रहे हम

उनको खबर नहीं है

कह दो कि आ भी जाएं

शिकवे सभी भुलाकर

 

कैसे उन्हें बताएं

आँखें तरस रही हैं

तन को भिगोती बूँदें

रिमझिम बरस रही हैं

पल कौनसा न जाने

ले जाएगा बहाकर

 

बादल बरस रहे हैं

कोयल भी गा रही है

रह-रह के दिल किश्ती

अब डगमगा रही है

देखो न डूब जाए

सब कुछ युहीं लुटाकर.

 

मौलिक/अप्रकाशित.

आदरणीय अशोक रक्‍ताले जी  विषय के अनुकूल सुन्‍दर प्रवाह पुर्ण गीत रचा है आपने बहुत बहुत बधाई 

रह रह के दिल किश्‍ती  इस को पढ़ने में हमें अटकाव क्‍यो लग रहा है कृपया समाधान करें । सादर 

आदरणीय रवि शुक्ला जी सादर, सारे अटकाव की कोई न कोई 'की' होती है है इस रचना में भी जहाँ अटकाव आया है वहाँ एक 'की' लगा दें तो अटकाव ख़त्म हो जाएगा. हा हा हा. रचना पसंद करने के लिए और टंकण त्रुटि का ध्यान दिलाने के लिए आपका हृदयातल से आभार. सादर.

रह-रह के दिल की किश्ती ........इस तरह पढ़ कर देखें साहब शायद ठीक लगे.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी आदाब  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार करें।"
27 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय गुप्ता 'अजेय जी आदाब, ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें।"
29 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"क्या बिहतरीन है इस ग़ज़ल में?"
31 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आ. अजय जी,इस मंच पर आने से पहले मुझे एक मिश्रा भी बहर में कहना नहीं आता था .. इसी प्रकार की चर्चाएँ…"
34 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आ. संजय जी , आइना टूट कर पशेमाँ हुआ हक़ बयानी की ये सज़ा भी थी....सच बोलने वाला लज्जित या पशेमाँ…"
39 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"मेरे उचित या अनुचित समझने का कोई प्रश्न ही नहीं है नीलेश जी। बात शुद्ध और अशुद्ध प्रयोग की है। उसी…"
46 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बहुत बहुत आभार आदरणीय अजय जी "
49 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय जी,//मेरी माँ ही मेरा  पिता हैं//.... ऐसे होना चाहिए आपके लॉजिक को मानें…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब, ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। हर शेर पर दाद। मुझ से लड़की जो आश्ना भी थी वो ही हल थी औ…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हौंसला बढ़ाने के लिए और दाद देने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय भाई नीलेश जी। आपने त्रुटि को इंगित किया।…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बेहतरीन ग़ज़ल हुई आदरणीय अमीर जी। बधाई स्वीकार कीजिये"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service