आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
मोहतरम जनाब तेजवीर साहिब , लघु कथा पसंद करने और हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया
मोहतरम जनाब सतविंदर कुमार साहिब , लघु कथा पसंद करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया -
मोहतरम जनाब विजय शंकर साहिब , लघु कथा पसंद करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया -
मोहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब , लघु कथा पसंद करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया -
अच्छी लघुकथा है आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी। बहुत-बहुत बधाई, सादर! आदरणीय योगराज सर के मत से मैं भी सहमत हूँ।
मोहतरम जनाब महेंद्र कुमार साहिब , लघु कथा पसंद करने और हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया
वात्सल्य के वश में
दूहा से दहेज़ रहित ब्याह की मुंह दिखाई में मिले दो बच्चे, श्वेता पत्नी बनने से पूर्व ही माँ बन गयी। बच्चे मम्मी कहते तो लगता मानो किसी ने कान में पिघला शीशा उंडेल दिया और छुते तो लगता नाग लिपट रहे हैं वह चकनाचूर हुए सपनों की खीज बच्चों पर उतारती।सर्द रात में अंश को दरवाजे की झिरी में से झांकते देख गुस्से से उबलती श्वेता ने पूछ लिया:
"क्या देख रहे हो ?"
"आपको "
" क्यों "
" मुझे लगा आप कही चली तो नहीं गयी। क्योकि आपकी चूड़ी की आवाज नहीं आ रही थी।"
"मैं कहाँ जाउंगी तुम लोगो को छोड़कर ?"
"जैसे आपकी मम्मी चली गयी आपको छोड़कर और आप रोती रहती हैं फिर भी वो नहीं आती।"
उसकी वात्सल्य से भरी बातें सुन, आसुंओं के सागर में डूबती श्वेता अंश को अपने बाहों में लेते हुये बड़बड़ा उठी:
"अब तुम्हारे सिर से माँ का साया कभी नहीं उठेगा और मेरा प्रायश्चित यही होगा की अब इस घर में कोई संतान जन्म नही लेगी। "
मौलिक एवमं अप्रकाशित
बहुत खूब लघु कथा हुई अर्चना जी ,गरीब माँ बाप कभी कभी अपनी बच्ची मजबूरी वश बेमेल शादी कर देते हैं यहाँ तो दो बच्चों के पिता से ही कर दी ऐसी लड़की की मनोदशा को खूब उभारा है इस लघु कथा में फिर अपने अन्दर के गुस्से को बच्चों की उपेक्षा करके निकाला है शायद उसी उपेक्षा की ग्लानी के फलस्वरूप प्रायश्चित का ये कदम उठाया है नायिका ने |बहुत खूब हार्दिक बधाई आपको
मोहतरमा अर्चना साहिबा , प्रदत्त विषय को परिभाषित करती तथा सीख देती सुन्दर लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |