आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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आदरणीया अर्चना त्रिपाठी जी, एक महिला का आत्मनिर्भर होना, उसका सबसे बड़ा बल बन जाता है. अपने शीर्षक को सार्थक करती बहुत प्रभावोत्पादक लघुकथा लिखी है आपने. इस सफल लघुकथा पर हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर
मोहतरमा अर्चना साहिबा , प्रदत्त विषय को परिभाषित करती सुन्दर लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
उम्दा कथ्य उम्दा शिल्प
स्वावलंबन और स्वाभिमान पर केन्द्रित बहुत ही सार्थक लघु कथा कही है विरासत में ससुराल व् मायका मिलते हैं किन्तु किस काम के जब स्त्री को सहारे की आवश्यकता होती है तो कोई आगे नहीं आता कोई स्त्री नहीं चाहती की उसके स्वाभिमान को ठेस लगे यहाँ नायिका का दृढ निश्चय इस लघु कथा की विशेषता है |बहुत बहुत बधाई अर्चना त्रिपाठी जी
नारी सशक्तिकरण पर एक उत्तम रचना कही है, इस सृजन हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया अर्चना त्रिपाठी जी|
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