आदरणीय साथिओ,
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हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी इस प्रयास का अनुमोदन व् उत्साहवर्धन करने के लिए
हार्दिक आभार आदरणीया कल्पना जी
बेटियों ने अपने आपको समाज में साबित करके दिखा दिया है फिर भी समाज की मानसिकता में बेटों को पाने की सोच ज्यों की त्यों बरकरार है। सरकार ने आजकल भूर्ण टेस्ट को लेकर बहुत सख्ती कर रखी है इसलिए भी ऐसी घटनाओं में इजाफा भी देखने को मिल रहा है। ऐसे में जब लड़की पैदा हो जाती है तो लोग उसे बाहर फेंकने जैसा कुकृत्य भी कर डालते हैं। आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी आपने बहुत अच्छे विषय को लघुकथा के माध्यम से उठाया है और प्रस्तुतिकरण भी बहुत शानदार है। मेरी तरफ से बधाई स्वीकार करें।
प्रयास पर उपस्थित होकर मुखर अनुमोदन व् उत्साहवर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय विनोद जी ..तस्वीर बदल रही है समाज की पर अभी भी बहुत कुछ होना है
बहुत ही प्रभावोत्पादक लघुकथा रची है आ० प्रतिभा पांडे जीI प्रदत्त विषय से पूर्णत: न्याय करती हुई इस लघुकथा हेतु मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करेंI
आपको ये प्रयास प्रभावित कर पाया ...मेरा लिखना सार्थक हुआ ...आपका हार्दिक आभार आदरणीय योगराज प्रभाकर जी
हार्दिक आभार आदरणीया नीता जी
एक सख्त कर्कश चेहरा अन्दर से कितना नर्म जो पीड़ा उसने भोगी उस एहसास को उस नवजात बच्ची ने चेहरे पर ला खड़ा किया तस्वीर का ये दूसरा रुख बहुत खूब हुआ प्रदत्त विषय से न्याय करती बहुत सुंदर प्रस्तुति |बहुत बहुत बधाई प्रिय प्रतिभा जी |
कथा के मर्म का अनुमोदन आपसे मिला , लिखना सार्थक हुआ ,,हार्दिक आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी
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