आदरणीय साथिओ,
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मुहतरम जनाब बिंदेश्वरी प्रसाद साहिब , लघु कथा को पसंद करने और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया ----
मुहतरमा नीता साहिबा , लघु कथा को पसंद करने और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया ----
मुहतरम जनाब शेख शहज़ाद उस्मानी साहिब आदाब , लघु कथा को पसंद करने और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया ----
पति से छिपा कर रखा धन, और पत्नी की चिंता .. बहुत रोचक कथानाक चुना है आपने ...हार्दिक बधाई प्रेषित है आपको आदरणीय तस्दीक जी
मुहतरमा प्रतिभा साहिबा , लघु कथा को पसंद करने और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया ----
आ० तस्दीक भाई जान , आजकल जो हो रहा है उसका अच्छा चित्रांकन किया , अंत की पंक्ति में कथाकार को स्वय अधिक सफाई या क्लीयरीफिकेशन देना उचित नहीं . अंत तो वही हो जाता है जब पूजा के चेहरे का रंग वापस आ जाता है , उस स्थल पर श्याम रहस्मय ढंग से मुस्करा सकता था बस . सादर
मुहतरम जनाब गोपाल नारायण साहिब , लघु कथा को पसंद करने, आपके मशवरे और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया ----
आदरणीय तस्दीक जी, वाह वाह, बहुत लाजवाब लघुकथा लिखी है आपने. पति की समझदारी को शाब्दिक करती हुई आपकी कलम ने बिना कहे ही, सब कह दिया. सफल और सार्थक प्रस्तुति. समसामयिक विषय पर बेहद प्रभावशाली लघुकथा लिखी है आपने. मुग्ध कर दिया. इस प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई. सादर
मुहतरम जनाब मिथिलेश साहिब , लघु कथा आपकी नज़रों में अच्छी हो गयी , मेरा लिखना सार्थक हो गया , हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ---
साधारण में से अद्वितय (असाधारण) ढूंढ लेना लघुकथा की सबसे अहम विलक्ष्णता है। जरूरी नहीं कि लघुकथा पढ़ते समय करंट ही लगे। यदि एक हल्की सी मुस्कुराहट भी आ जाए तो कम से कम मैं तो उसे सफल लघुकथा मानता हूं। नोटबंदी और उससे उत्पन्न हालातों पर बहुत ही साधारण से पल चुराकर रची गई इस लघुकथा के लिए आपको असीम शुभकामनाएं। शीर्षक छुपाधन भी बहुत ही स्टीक चयन है। पूजा के चेहरे का उड़ता रंग और फिर उस रंग वापिसी ! वाह ! बहुत ही महीन बुनावट है आपकी लघुकथा की । सादर शुभकामनाएं
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