आदरणीय साथिओ,
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रचना फिर से पढ़ी...क्षमाप्रार्थी हूँ मैनें टेबलेट को नायिका के दौरों से जोड़ लिया था...लघुकथा की कसावट के कारण ही मुझसे यह भूल हुई... अब समझ में आ गया अच्छी रचना और अच्छे व्यक्ति एक बार में समझ में नहीं आते हैं...
//"बताओ न, शादी कब करोगे?"-------> यहाँ यह नहीं पूछा गया कि मुझसे शादी कब करोगे// यह शायद मुझे रचना को दो-तीन बार और पढने के बाद समझ में आएगा कि नायिका का अभिप्राय स्वयं की शादी से नहीं था... यह रचना गोष्ठी की बेस्ट रचनाओं में से एक है... यह बात भी मैनें अपनी टिप्पणी में पहले ही कह दी थी...
लघुकथा एक दम विषय अनुकूल, चुस्त कथ्य और सार्थक संदेश देने वाली रची है प्रिय सीमा सिंह जी, बहुत बहुत बधाई स्वीकार करेंI
//“एक नया फ्लैट ले लिया है मैंने। इस मकान में तुम रहोगी, और मेरी वाइफ नए फ्लैट में।”// पत्नी और प्रेमिका दोनों को बेवफाई के अँधेरे में रखने की तैयारी ...बहुत खूब प्रिय सीमा जी,क्या खूबसूरती से प्रदत्त विषय को उभारा है आपने ..ढेरों बधाई
मुहतरमा सीमा साहिबा , प्रदत्त विषय को परिभाषित करती सुन्दर लघुकथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ---
आदरणीय सीमा जी /एक नया फ्लैट ले लिया है मैंने। इस मकान में तुम रहोगी, और मेरी वाइफ नए फ्लैट में।/ इस पंक्ित के लिए लघुकथा का ताना बाना बुना गया है, जो प्रदत्त विषय से पूरी तरह न्याय कर रही है। वार्तालाप चुस्त, उद्देश्यपूर्ण व प्रभावशाली है जाे पाठक को पूरी तरह बांध कर रखने में सफल सिद्ध हुआ है और लघुकथा प्रवाह में चल रही है। परन्तु लघुकथा का कथानक 'यौन शोषण' जैसे अत्यंत घिसे विषय पर आधारित है जिस पर यथेष्ट मात्रा में लिखा जा चुका है। भविष्य में प्रयास करें कि ऐसे विषय पर कलम आजमाइश न हो। सादर
हार्दिक बधाई आदरणीय सीमा जी ।बेहतरीन प्रस्तुति ।
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