For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सब क़ुबूल अब तो बेवफा के सिवा (तरही गजल)

बह्र 2122 1212 22

ज़िन्दगी क्या है इक खता के सिवा
कुछ करो यार कल्पना के सिवा ||

सोचता हूँ ग़ज़ल कहूँ कैसे
जानकारी न काफ़िया के सिवा||

जो भी चाहो कहो मुझे यारो
सब क़ुबूल अब तो बेवफा के सिवा ||

अब समझना मुझे नही आसाँ
कोई समझे न दिलरुबा के सिवा ||

तुम कभी रूठ जाते हो मुझसे
बात बनती न इल्तिज़ा के सिवा||

आज भी मुल्क में गरीबी है
क्या मिला हमको योजना के सिवा||

दर सभी आजमा लिए हमने
*कोई सुनता नहीं ख़ुदा के सिवा* ||

ज़िंदगी क्या है और कुछ भी नहीं
एक खुशरंग कल्पना के सिवा ||

(मौलिक व् अप्रकाशित)

Views: 687

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on January 19, 2017 at 3:30am
आदरणीय बहन राजेश कुमारी जी सादर अभिवादन, गजल पर हौसला अफजाई के लिए हृदय तल से आभार
Comment by नाथ सोनांचली on January 19, 2017 at 3:28am
आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज जी सादर अभिवादन, गजल पर हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 18, 2017 at 10:26pm
आद०  सुरेन्द्र नाथ सिंह भैया ,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद स्वीकारें ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 17, 2017 at 10:50pm
बड़ी उम्दा ग़ज़ल हुई..बधाइयाँ

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 17, 2017 at 9:24pm

आ. सुरेन्द्र भाई , अच्छी गज़ल हुई है , हार्दिक बधाइयाँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 17, 2017 at 12:19pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी,बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है,शेर दर शेर दाद के साथ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. सादर 

Comment by नाथ सोनांचली on January 17, 2017 at 4:06am
आद0 मोहम्मद आरिफ जी आदाब, गजल पसन्द करने और हौसला अफजाई के लिए आभार।
Comment by नाथ सोनांचली on January 17, 2017 at 4:05am
आदरणीय समर साहब सादार प्रणाम, गजल पर आपकी पसन्द और अनुमोदन दोनों शकुन देता है, बहुत बहुत आभार आपका।
Comment by Mohammed Arif on January 16, 2017 at 4:41pm
आदरणीय सुरेंद्र नाथजी, आदाब ! बेहतरीन ग़ज़ल , मुबारक़बाद ।
Comment by Samar kabeer on January 16, 2017 at 4:10pm
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Tuesday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service