For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भूखे पेट (लघुकथा) / शेख़ शहज़ाद उस्मानी

'भूखे पेट' (लघुकथा) :

सफ़र की थकान दूर करते हुए अगले गंतव्य हेतु रेलगाड़ी की प्रतीक्षा करते-करते एक युवक अब भूख भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था। अपने झोले में से टिफिन निकाल कर उसने अचार के साथ पूरी खाना शुरू किया ही था कि फटेे-चिथे कपड़े पहने एक दाढ़ी वाला बुज़ुर्ग कांपता लड़खड़ाता हुआ सा उसके बगल में आकर बैठ गया। वह कभी उस युवक को देखता, तो कभी उस साँड़ को जो साफ-सुथरे प्लेटफार्म पर खड़ी रेलगाड़ी की खिड़की से यात्रियों से स्वल्पाहार ग्रहण कर रहा था और कुछ अंग्रेज़ यात्री अपने कैमरों में उस दृश्य को क़ैद कर मुस्करा रहे थे! युवक ने सोचा कि क्यों न उस बुज़ुर्ग को भी एक-दो पूरियां दे दी जायें? लेकिन फिर उसने सोचा कि कहीं वह अधिक भूखा हुआ और यदि और पूरियां माँगने लगा तो वह मना नहीं कर सकेगा। सोचते-सोचते उसने सभी पूरियां खा लीं। तभी उस बुज़ुर्ग ने पूछा- "बेटा, मुझे बहुत भूख लगी है, अगर एकाध पूरी बची हो, तो दे दो!"

एकदम भौचक्का सा होते हुए उस युवक ने कहा- "अब तो पूरियां ख़त्म हो गईं, पहले क्यों नहीं मांगीं?"

"तुम्हारे खाने के तरीक़े से ऐसा लगा कि तुम बहुत भूखे हो, तो मैंने सोचा कि पहले तुम्हारा पेट भर जाये!" उस बुज़ुर्ग ने बहुत कोशिश करके मुस्कराते हुए कहा।

(मौलिक व अप्रकाशित

Views: 507

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on February 28, 2017 at 6:44am
मोहतरम जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' साहब, जनाब मोहम्मद आरिफ साहब, जनाब लक्ष्मण रामानुज लडीवाला साहब, जनाब डॉ. आशुतोष मिश्रा जी, आ. नीलम उपाध्याय जी, आ. राजेश कुमारी जी, मोहतरम जनाब समर कबीर साहब,व जनाब महेन्द्र कुमार जी बहुत बहुत शुक्रिया हौसला अफ़जा़ई हेतु।
Comment by Mahendra Kumar on February 22, 2017 at 8:50pm
आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी,बहुत ही शानदार लघुकथा लिखी है आपने। इस दिल को छू जाने वाली लघुकथा के लिए हृदय तल से ढेरों बधाई प्रेषित है। एक छोटा सा सुझाव है, यदि आपको अच्छा लगे। इस पंक्ति //उस बुज़ुर्ग ने बहुत कोशिश करके मुस्कराते हुए कहा।// को केवल "उस बुज़ुर्ग ने कहा।" कर लें। सादर।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 21, 2017 at 11:37am

सुंदर लघु कथा रचित है साहब ! वाह 

Comment by Neelam Upadhyaya on February 20, 2017 at 3:26pm

अदरणीय उस्मानी जी,  लघु कथा मन को छू गई । बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Samar kabeer on February 20, 2017 at 3:09pm
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,अच्छी दिल को छूने वाली लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 19, 2017 at 8:38pm
आदरणीय शेख जी दिल को छू गयी आपकी इस रचना पर हार्दिक बधाई सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 19, 2017 at 6:11pm

आद० उस्मानी जी ,दिल छू गई ये लघु कथा बहुत बहुत बधाई 

Comment by Mohammed Arif on February 19, 2017 at 4:48pm
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब, आच्छा कटाक्ष है । मुबारकबाद ।
Comment by नाथ सोनांचली on February 19, 2017 at 3:03pm
आद0 शहजाद उस्मानी साहब सादर अभिवादन। दिल को झकझोर गयी यह कहानी। पढ़ते पढ़ते खुद के गिरेबान में झांकने का मन करने लगा, लगा कही वह युवक मैं ही तो नही। बहुत खूब। नमन संग बधाई उम्दा लघुकथा सृजन पर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service