आदरणीय साथिओ,
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हार्दिक आभार आ० मुज़फ्फर इकबाल सिद्दीकी साहिबI
अपनी इस रचना के द्वारा भी हम सभी का मार्गदर्शन करने हेतु सादर नमन आदरणीय योगराज जी सर|
हार्दिक आभार भाई चंद्रेश कुमार छतलानी जीI
रचना के मर्म तक उतर कर उसकी सराहना हेतु हार्दिक आभार भाई महेंद्र कुमार जीI
सावन के अंधे को सब हरा दिखाई देता है वैसे ही अपनी पत्नी के खुले स्वभाव से , सत्यार्थी सभी स्त्रियों के सौजन्य वश की बातचीत को भी अन्यथा लेने लगे। बहुत प्रभावी लघुकथा । हमारा भी फेसबुक और इंटरनेट मीडिया के माध्यमों पर ऐसे कई व्यक्तियों से साबका पड़ता है।
आपको सादर नमन आदरणीय प्रभाकर जी।
आपने बिलकुल सही फरमाया है आ० अर्पणा शर्मा जी, मेरा इशारा भी उसी तरफ था. उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार स्वीकार करेंI
सर जी, बहुत ही सुंदर लघुकथा की बधाईI ऐसा अक्सर होता है , किसी के स्वभाव को आप माप नहीं पाते, और गलत फिह्मी का शिकार हो जाते है, मगर बात चीत करते समय काबू में रखना अति जरूरी है I
बहुत बहुत शुक्रिया आ० मोहन बेगोवाल जी.
शीर्षक को सार्थक करती सुदृढ़ लघु कथा हेतु बहुत बहुत बधाई ! आदरणीय प्रभाकर सर ।
हार्दिक आभार आ० अन्नपूर्णा बाजपेई जी.
रजत जयंती का शुभारम्भ एसी शानदार संजीदा लघु कथा से करने के लिए हार्दिक बधाई आद० योगराज जी| महिलाओं का खुल कर बातें करना या छू कर बातें करना ज्यादा हँसना इन सब का मतलब लोग अपने अपने हिसाब से लगा लेते हैं दूसरी भाषा में कहें तो चालु कहते हैं easily available समझने की भूल कर बैठे हैं कुछ लोगों की ये अवधारणा उनकी मानसिकता के कारण होती हो कुछ् लोग एसी परिस्थिति से गुजरे होते हैं जैसे की इस लघु कथा के नायक के साथ हुआ इसने तो खुद की पत्नि का यही रूप देखा इसी लिए इस लड़की को भी वैसा ही समझने की गलती कर बैठा |
बहुत बहुत बधाई आपको इस सुन्दर प्रस्तुति पर | आज कल नेट पर आना बहुत मुश्किल हो रहा है बच्चे छुट्टियां बिताने आये हुए हैं |
रजत जयंती है इस लिए भागते दौड़ते अपनी भी लघु कथा अंतिम वक़्त में पोस्ट कर सकी |
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