आदरणीय साथिओ,
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वाह | अलग ही कथानक नया विषयी और बेहतरीन प्रस्तुति | हार्दिक बधाई आदरणीय तेज वीर सिंह जी |
हार्दिक आभार आदरणीय कल्पना जी।
पर्यावरण की चिंता बताती शानदार कथा हार्दिक बधाई आदरणीय
कथा अच्छी है पर नाटकीय अधिक हो गयी है
इस लघुकथा में नाटकीयता कहाँ नज़र आ गई आ० डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी? यह तो लेखक की कल्पनाशीलता का उत्कृष्ट उदाहरण है.
आ० अनुज आपका कथन सही है , मुझे लगता है यह टीप किसी अन्य कथा के लिए थी गलती से यहं पोस्ट हो गयी . सादर .
हार्दिक आभार आदरणीय गोपाल नारायण जी।
‘अधूरी आई ‘
बिट्टू को गोद में लिए रीना पार्क की बेंच पर चुपचाप आकर बैठ गई I
“ टोले में किसी ने कुछ कह दिया क्या , जो अपनी इस कुतिया के साथ उदास बैठी है ?” जूस वाला पास आ गया I
“कुतिया नहीं बिट्टू I बेटी है मेरी I” बिट्टू को अपने से और चिपका लिया उसनेI “
“हाँ ,हाँ पता है, ये तेरी बेटी तू इसकी आई, बस्स I अब बता क्या हुआ ?”
“कभी मन बहुत शिकायत करता है I इस अधूरी जिंदगी का क्या फायदा I घर संसार कुछ नहीं ,बस ताली बजाते यहाँ वहाँ घूमते फिरो I” बिट्टू के बालों में हाथ फेरते अनजाने में उसकी मुट्ठी कस गई जिसपर जोर से कूँ कूँ करके बिट्टू ने तत्काल अपना विरोध भी दर्ज कर दिया I
“ आज कल तो .. .मतलब . मैंने सुना है कि ठीक भी हो जाते हो तुम लोग, ऑपरेशन होता है कुछ I तो..करवा ले इलाज ,पैसे तो खूब हैं तेरे पास , क्यों रोज बिसूरती है ?” जूस वाला उसे घूरता हुआ धीरे से मुस्कुराया I
“ तू करेगा फिर मुझसे शादी ?” छिछोरपन से उसकी आँखों में झांकती रीना भी अपने पर उतर आई थीI
“ कर लेंगे , सुन्दर तो तू है ही I “ धौल मारने को उठे रीना के हाथ से बचता, हँसता हुआ वो भागकर अपने ठेले के पास आ गया I आसपास के ठेले वाले भी हँसने लगे थे I
जूस वाले को जवाब देने के लिए खड़ी हुई रीना की नज़र सामने बेंच पर बैठे जोड़े पर चली गई I एकदम चिपक कर बैठे वो दोनों एक दूसरे के ग्लासों से जूस पी रहे थे I उस बेंच पर अँधेरा था पर सामने से आती कार की लाइट में दोनों का चेहरा साफ़ दिख गया था I आदमी को झट पहचान गई रीना I परसों इसी के घर नेग लेने पहुंची थी अपनी टोली के साथ I गोद में लल्ला लिए गोरी चिट्टी सकुचाई उस नई माँ को देख रीना को अपनी छोटी बहन की याद हो आई थी I
“देख रही है बिट्टू ii “ जोड़े को नफरत से देखती वो धीरे से बुदबुदाईI “ घर में बिचारी औरत बच्चा लिए बैठी है और ये यहाँ ...”I पिच्च से जमीन में थूक दिया उसने I
“ तो क्या सोचा रीना , अपनी झबरी बिटिया से भी पूछ लेI ” जूस वाला खींसें निपोरता अपनी जगह से चिल्लाया I
“ अबे पूछ लिया , और मेरी बिटिया तो बहुत समझदार निकली I” रीना की जरूरत से ज्यादा तेज आवाज सुन आसपास वाले अब उसे पलट कर देख रहे थे , वो जोड़ा भी I
“ क्या समझाया ?” रीना के चीखने से जूस वाला अब थोडा असहज था I
“ मेरी बिट्टू का साफ़ कहना है कि इस मरद जात का कभी भरोसा मत करना I बाहर चमक और अन्दर सड़ांध I बिट्टू को अपनी ये अधूरी आई ही वर्ल्ड बेस्ट लगती है I “ उसकी तेज आवाज के पीछे छिपा गीलापन किसी ने नहीं सुना I
मौलिक व् अप्रकाशित
हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी
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