आदरणीय साथिओ,
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एक चलचित्र सा खिंच गया आँखों के सामने, बहुत बढ़िया| बहुत बहुत बधाई इस मार्मिक रचना के लिए
लघुकथा—स्तर
आज उस का बरसों पुराना सपना पूरा होने जा रहा था. उस ने कहानियां बहुत लिखी थी. वह चाहता था कि वह लघुकथा में महारत हासिल करें. इसी लिए वह इधरउधर से पैसे का इंतजाम कर के लघुकथा के पुस्तक विमोचन सह सम्मेलन में शामिल हो कर लघुकथा के गुर सीखने आया था.
कार्यक्रम बहुत भव्य था. इस की भव्यता और उच्चता की तारिफ किए बिना वह नहीं रह सका. लघुकथा के आदरणीय विशेषग्य से मिलते ही उस ने कहा, '' आप ने लघुकथा पर बहुत अच्छी, संक्षिप्त, सरल व सहज बातें बताई. इसे कोई याद रख लें तो वह सफल लघुकथा लेखक बन सकता है. आप के आने से लघुकथा का कार्यक्रम की भव्यता में चार चांद लग गए है. मेरा आप से मिलने का सपना भी पूरा हो गया.'' वह उन के चरणों में झुक गया.
आदरणीय गदगद होते हुए बोले,'' आप तो यूं तारिफ कर रहे हो. मैं तो आजीवन लघुकथा के लिए ही जीया हूं इसलिए मैं ने वही कहा जो मैं ने महसूस किया है.''
वह उन की विनम्रता देख कर चकित था, '' आप का लघुकथा के प्रति समर्पण देखते ही बनता है. मैं भी इस क्षेत्र में नाम कमाना चाहता हूं. आप कोई गुरूमंत्र देने की कृपा कीजिए ताकि मैं भी लघुकथा के क्षेत्र में सफल हो सकूं,'' उस ने जानना चाहा.
'' पहले आप सभी स्तरीय लघुकथाएं खूब पढ़िए. किसी एक क्षण या भाव का विश्लेषण करना सीखिए. लघुकथा का अंत ऐसा करना सीखिए कि मन को झटका लगे. इस के साथ एक बात ध्यान में रखिएगा, लघुकथा का अंत ऐसा करिएगा कि वह पाठकों को कुछनकुछ सोचने को विवश कर दें .'' यह कहते हुए आदरणीय गर्व से हंसे. फिर अपने हाथ में पकड़ी हुई पुस्तक उस के हाथ में थमा दी, '' इसे पढ़िएगा.''
'' आदरणीय ! यह तो आप को सादर भेट है. '' उस ने पुस्तक लौटाते हुए कहा, '' जिस का विमोचन अभीअभी आप ने ही इस समारोह में किया था.''
''अरे ! कोई बात नहीं . इसे आप ही रखिए.'' यह कहते हुए आदरणीय मुस्कराएं तो उस ने प्रश्नवाचाक दृष्टि उन के चेहरे पर गडा दी. ताकि वे जो कह रहे थे उस का अर्थ समझ सके.
वो बोले, ''यह मेरे स्तर की नहीं है. इसे आप रखिए. आप को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा,'' कहते हुए आदरणीय आगे बढ़ गए.
और वह विचारों के भंवर में फंसा, लघुकथा की पुस्तक ले कर कभी उन के कहे शब्दों के वजन को मस्तिष्क में और कभी पुस्तक का वजन को हाथ से तौलने की कोशिश कर रहा था
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(मौलिक व अप्रकाशित)
आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी शुक्रिया आप का इस मतांकन के लिए.
विभिन्न मंचों पर चल रही साहित्यिक गतिविधियों से मोहित नव लेखकों की दुविधाओं का सुन्दर चित्रण ...हार्दिक बधाई आदरणीय ओमप्रकाश क्षत्रिय जी
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