For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल(फिर गजल होगी....)

2122 2122 2122 222

फिर गजल होगी भली रुत को जरा आने तो दो
बंद छितराये पड़े हैं,और जुड़ जाने तो दो।1

राख में चिनगारियाँ भी चिलचिलाती रहती हैं,
बस हवा का एक झोंका अब गुजर जाने तो दो।2

भागता जाता बखत भी बेकली के रस्ते से
गुनगुनायेंगी दिशाएँ मीत अब गाने तो दो।3

ज़ोर है तनहाइयों का , मानता, डरना भी क्या?
दूरियाँ क्या साहिलों की?यार अकुलाने तो दो।4

चाहतों का सिलसिला कब माँगने से मिलता है?
तिश्नगी बढ़ती गयी अब और रिरियाने तो दो।5

वक्त ने कितना कहा पर मैं भटकता हूँ निशि-दिन,
भाव कुछ अपना बढ़ेगा अब पिघल जाने तो दो।6
मौलिक व अप्रकाशित
@

Views: 801

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on September 1, 2017 at 9:35am
आभार आ. लक्ष्मण जी।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 1, 2017 at 6:37am
बहुत सुंदर । आ. भाई मनन जी हार्दिक बधाई ।
Comment by Manan Kumar singh on August 30, 2017 at 8:47pm
आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज भाई।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 30, 2017 at 8:35pm

आदरणीय मनन भाई , एक बीरली बहर पर खूबसूरत ग़ज़ल कही है , हार्दिक बधाइयाँ । आ. नीरज भाई जी का भी आभार , इस बहर के विषय मे जानकारी देने के लिये ।

Comment by Manan Kumar singh on August 29, 2017 at 6:07pm
आदरणीय नीरज जी,बहुत बहुत शुक्रिया आपका।अब किताब से देखकर मैं कहता,लेकिन आपने मेरा काम हल्का कर दिया।मुझे इस बहर का नाम याद नहीं था,लेकिन होती है,कहीं देखा था।आपका पुनः आभार।
Comment by Samar kabeer on August 29, 2017 at 5:51pm
जनाब नीरज जी आदाब,जी मुझे मालूम है,ये बात मैंने जनाब मनन जी से जानना चाही थी जिसका कोई कारण था ।
Comment by Niraj Kumar on August 29, 2017 at 5:35pm

जनाब समर कबीर साहब, आदाब,
मफऊलुन (222) इस बह्र में एक जायज़ अरकान है जिसे तशिश जिहाफ़ के अमल से हासिल किया गया है.(वैसे इसे खब्न और तस्कीन के अमल से भी हासिल किया जाता है.)
सादर

Comment by Niraj Kumar on August 29, 2017 at 4:36pm

आदरणीय मनन जी,
एक कम इस्तेमाल की गयी बह्र(रमल मुसम्मन मुश्शश अल आखिर - फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन मफऊलुन) में यह एक अच्छी कोशिश है. मुबारकबाद.

Comment by Samar kabeer on August 28, 2017 at 9:45pm
जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।
ग़ज़ल के अरकान जो आपने लिखे हैं,2122 2122 2122 222आख़िर में 222 समझ नहीं आ रहा है 212 होता है ?जैसा कि जनाब राम अवध जी ने लिखा है ।
Comment by Ram Awadh VIshwakarma on August 28, 2017 at 7:51pm
प्रयास अच्छा है। मात्रा गणना सही नहीं है।
बह्र है-
फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन
2122 2122 2122 212
इस प्रकार कुछ शेर में सुधार की आवश्यकता है।
अच्छे प्रयास के लिये बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
6 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service