आदरणीय साथिओ,
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हार्दिक आभार आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी।
रचना पत्र समाप्ति पर ही मुकम्मिल हो गई थी. उसके बाद जो भी लिखा है उसने पहले लिखे का प्रभाव ही कम किया है. वरना यह पत्र शैली में लिखी उम्दा लघुकथा बन जाती. अंत में आकाश से बिजली चमकना और सुमित्रा का बेटे के साथ सामने खड़ा होना अति नाटकीय (लगभग फ़िल्मी) होकर रह गया है. बहरहाल, इस उम्दा प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें.
हार्दिक आभार आदरणीय योगराज प्रभाकर भाई जी।आपके सुझावों को ध्यान में रखकर लघुकथा को सुधार कर प्रस्तुत करूंगा। सादर।
हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी।
हार्दिक आभार आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी।
हार्दिक आभार आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।
हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी। आदाब।
पत्रात्मक शैली प्रभावशाली बनी है , अंत में कुछ नाटकीयता अवश्य हो गई है ...हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति पर आदरणीय तेजवीर सिंह जी
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