For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 

“तुमने ठीक से शूट किया न?”रियान ने पूछा|

“येस येस ऑफकोर्स बड्डी, पूरा शूट कर  लिया" कैमरा दिखाते हुए डोडो ने कहा |

" लेकिन एक बात बता व्हाई डिड यू चूज हिम ओनली?   इसे ही क्यों चुना तुमने?”डोडो ने आगे पूछा |

“ ही वाज़ एन इन्डियन यार.... क्या फर्क पड़ता है कोई अपना थोड़े ही था  और मेरे इस  लास्ट टास्क में   यही ऑर्डर था  कि विदेशी होना चाहिए  पर  ये शूट करना अब तो बंद कर यार अभी भी क्यूँ ऑन किया हुआ है कैमरा”  रियान बोला|  

ठांय ठांय ठांय...”सॉरी बड्डी मेरा भी ये अंतिम टास्क  है  जिसमे ऑर्डर है  अपने किसी पक्के दोस्त को किल करो” क्लिक क्लिक क्लिक.कैमरा अब भी ऑन था  ..

और डोडो की  हथकड़ी के नीचे बनी  ब्लूव्हेल सब पर हँस रही थी  |

मौलिक एवं अप्रकाशित   

Views: 657

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 3, 2017 at 7:40pm

आप सही कहते हैं आद० लक्ष्मण जी, सच में संवेदनहीनता व् भावप्रदूष्ण बढ़ रहा है | पर इस गेम के पीछे दो कारण हैं अर्थात दो तरह की मानसिकता वाले बच्चे शामिल हो रहे हैं एक तो जो अकेले हैं अर्थात जिनको कोई मोरल सपोर्ट या घरवालो का प्यार नहीं मिल रहा अर्थात उन पर कोई ध्यान ही नहीं दे रहा .दुसरे जो चेलेंज के भूखे हैं जीवन में चेलेंज एक्सेप्ट करते हैं | दोनों ही स्थिति नाजुक हैं .माता पिता अपने में व्यस्त हैं सबके हाथों में गेजेट हैं किसी को किसी की फ़िक्र नहीं है होश तब आटा है जब बात हाथों से निकल चुकी होती है | बहुत बहुत शुक्रिया मनोवैज्ञानिक विश्लेषण हेतु 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 3, 2017 at 11:55am

जैसे जैसे डिजिटल टेकनोलोजी विकसित हो रही है, नए नए आतंक भी सामने आ रहे है | जब हर व्यक्ति के हाथ में मोबाइल से चित्र लेना आसान हो गया तब से सभी क्षेत्रों में सवेदन हीनता और भाव-प्रदुषण बढ़ा है | सुंदर लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई आ. राजेश कुमारी जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 3, 2017 at 9:32am

आद० डॉ० विजय शंकर जी ,आपकी बात सही है न जाने आज की हवा में क्या हो रहा है जो आक्सीजन नहीं कार्बनडाईआक्साइड ही बांट रही है बच्चो में .बहुत बहुत शुक्रिया अपने विचार रखने के लिए . 

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 3, 2017 at 9:25am
आदरणीय सुश्री राजेश कुमारी जी , इस सांकेतिक लघु-कथा के लिए बधाई। जब किसी की अपनी समय के साथ चलने वाली शिक्षा , संस्कृति और समझ नहीं होती है तो वह पूरा का पूरा समूह ब्रेन वॉश्ड हो जाता है। सबसे अधिक वह राजनीती से प्रभावित होता है। लुटता है और जिनसे लुटता हैं उन्हें ही पूजता भी है।
सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 3, 2017 at 9:24am

आद० बृजेश कुमार जी ,आपको लघु कथा अच्छी लगी मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत आभारी हूँ 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 2, 2017 at 8:30pm
बेहतरीन कथा हुई आदरणीया..बधाई

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 2, 2017 at 7:39pm

आद० उस्मानी जी ,आपने लघु कथा के मर्म तक पँहुचने की पूर्णतः कोशिश की है बहुत बढिया विश्लेषण किया है .आजकल जहाँ तहां इस  जानलेवा ब्लू व्हेल गेम में बच्चे फँस कर अपनी या दूसरों की जान ले रहे हैं एक से एक चेलेंजफुल टास्क करवाया जाता है उनसे विदेशों से चला ये गेम भारत के हर कोने में प्रवेश कर चुका है .ये आज के प्रगतिशील वक़्त के गेजेट का सबसे विद्रूप चेहरा है बच्चों का इस तरह ब्रेनवाश किया जा रहा है की उनकी खुद की सोचने समझने की शक्ति विलुप्त होती जा रही है ,इस करेंट समस्या पर प्रकाश डालने की कोशिश की है इस लघु कथा में .बहुत बहुत शुक्रिया आपका .

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 2, 2017 at 4:31pm
मोबाइल चैलेंज और दुनिया में ताक़तों के चैलेंज के खेलों के संग कैमरा कल्चर की संवेदनहीनता पर रौशनी डालती बेहतरीन प्रतीकात्मक कटाक्षपूर्ण व विचारोत्तेजक रचना के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरमा राजेश कुमारी साहिबा। अंग्रेज़ी संवाद भी इस कुसंस्कृति का ही हिस्सा है। ब्लू व्हेल चैलेंज जैसे गेम ही अहंकारी शक्तियां और आतंकी और यहां तक कि हिटलरी राजनीतिक दल भी खेल रहे हैं किसी न किसी रूप में। सादर। कृपया मार्गदर्शन करें कि मैं लघुकथा को सही तरह से समझ सका या नहीं? वैसे यह शैली ज़रा कठिन हो गई है यहां।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
52 minutes ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
12 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
23 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Monday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service