For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गांधी के सपनों का भारत, कौन बनाए पूरा।
देखा था जो राष्ट्रपिता ने, सपना रहा अधूरा।।
जात-पाँत का भेद मिटेगा,अमन चैन आएगा।
श्रमजीवी घर में दो रोटी, सुबह शाम खाएगा।।1।।

सब हाथों को काम मिलेगा, हर घर में उजियारा।
कृषक और मजदूर कभी भी, फिरे न मारा-मारा।।
हस्तशिल्प लघु उद्योगों को, मूल्य मिलेगा पूरा।
चढ़े न कर्जा कभी कृषक पर, खाये भाँग धतूरा।।2।।

धर्म पंथ में बाँटा किसने, क्यों तकरार मचाई।
वितरण भी असमान हो रहा, बढ़ती जाती खाई।।
जैसे यहाँ रेवड़ी कोई, बाँट रहा हो सूरा।
इसीलिए बापू का अब तक, सपना रहा अधूरा।।3।।

धनवानों की और बढ़ी है, जहाँ निरंतर पूँजी।
वहीं निर्धनों के घर में अब, भाँग नहीं है भूँजी।।
अच्छे दिन कब तक आएंगे, कुछ तो बोल जमूरा।
बापू जी का देखा सपना, कब तक होगा पूरा।।4।।
[मौलिक व अप्रकाशित]
**हरिओम श्रीवास्तव**

Views: 658

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hariom Shrivastava on November 13, 2017 at 7:09pm
आदरणीया Dr.Prachi Singh जी, आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ। आपका हार्दिक आभार।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 6, 2017 at 8:52pm
बहुत ही सुन्दर यथार्थपरक रचना हुई आदरणीय..
Comment by Samar kabeer on November 5, 2017 at 8:53pm
जनाब हरिओम श्रीवास्तव जी आदाब,बहुत उम्दा सारछन्द लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on November 5, 2017 at 7:42am
आदरणीय हरिओम जी आदाब, दर्द-पीड़ा, आशा, साथ लेकर चलने की बात और साथ ही विकास सपनों के साकार करने की सामयिक रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Hariom Shrivastava on November 3, 2017 at 11:51pm
आदरणीया Rajesh Kumari जी,आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ। इस उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार।
Comment by Hariom Shrivastava on November 3, 2017 at 11:49pm
आदरणीय Sushil Sarana जी,आपकी विशद व समीक्षात्मक प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ। इस उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 3, 2017 at 7:44pm

वाह बहुत सुंदर सार्थक प्रस्तुती दी है सार छंद में आद० हरिओम श्री वास्तव जी बहुत बहुत बधाई   

Comment by Sushil Sarna on November 3, 2017 at 7:39pm

धर्म पंथ में बाँटा किसने, क्यों तकरार मचाई।
वितरण भी असमान हो रहा, बढ़ती जाती खाई।।
जैसे यहाँ रेवड़ी कोई, बाँट रहा हो सूरा।
इसीलिए बापू का अब तक, सपना रहा अधूरा।।3।।

वाह आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी सपनों के भारत का आपने वो शब्द चित्र खींचा है कि वर्तमान को उन बिखरते सपनों और अधूरे सपनों पर शर्मिंदगी होनी चाहिए। हालात को आईना दिखाने हेतु आपका हार्दिक आभार एवं श्रेष्ठ सृजन के लिए हार्दिक बधाई सर जी।

Comment by Hariom Shrivastava on November 3, 2017 at 6:00pm
आदरणीया Dr.Prachi Singh जी,आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ। इस हेतु आपका हार्दिक आभार।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 3, 2017 at 5:53pm

सार छंद में बहुत खूबसूरत समसामयिक प्रस्तुति आ० हरिओम श्रीवास्तव जी 

सचमुच भारत की तस्वीर को दो रंगों में बाँट देने वाली खाई को मिटना ही चाहिए , बापू का ही क्या आम जन का भी यही ख्वाब है जिसे पूरा होना चाहिए 

प्रस्तुति पर बधाई प्रेषित है 

स्वीकार करें 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
22 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service