आदरणीय साथिओ,
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वाह ! बहुत सुंदर लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई आ. बरखा शुक्ला जी |
आ.बरखा जी सुंदर लघुकथा के लिए बधाई
जैसी करनी, वैसी भरनी का सन्देश देती बढ़िया लघुकथा है आ. बरखा जी. वैसे यदि आप "मिश्रा जी", "शुक्ला जी" की जगह पात्रों को कोई नाम दे देतीं तो बेहतर रहता. मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.
बहुत अच्छी लघु कथा प्रिय बरखा जी,दिल को छू गई बहुत बहुत बधाई |
बेटा तुमने तो लौटने में रात कर ली , पर तुम्हारी भी ग़लती नहीं है ,शायद हमारे ही संस्कार में कोई कमी रह गयी होगी । “ // हमारे सामजिक ढांचे की एक अजीब बात ये है कि बच्चों की गलती को भी माँ बाप अपने द्वारा दिए संस्कारों कीगलती बता कर दोष अपने सर ही लेते हैं I प्रदत्त विषय पर सुन्दर कथा रची है हार्दिक बधाई आदरणीया बरखा शुक्ला जी
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