For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुंदरता का अहंकार

एक अहंकारी पुष्प

अपनी प्रसिद्धि पर इतरा रहा है,

भॅंवरों का दल भी,

उस पर मंडरा रहा है,

निश्चित ही वह,

राग-रंग-उन्माद में,

झूल गया है,

स्व-अस्तित्व का,

कारण ही भूल गया है,

तभी तो,

बार-बार अवहेलना,

कर रहा है,

उस माली की,

जिसने उसे सुंदरता के,

मुकाम तक पहुचाया,

संभवतः उसे ज्ञात नहीं,

बयारों ने भी,

करवट बदल ली है,

जो संकेत है,

बसंत की समाप्ति का। 

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 862

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manoj kumar shrivastava on December 21, 2017 at 3:36pm

आदरणीय मुसाफिर जी, सादर अभिवादन। मेरा कोटिशः आभार स्वीकार करें।

Comment by Manoj kumar shrivastava on December 21, 2017 at 3:35pm

आदरणीया कल्पना जी सादर नमस्कार। उत्साहवर्धन हेतु आपका कोटिशः आभार।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 21, 2017 at 6:27am

वर्तमान राजनीतिक परिदृष्य पर चोट करती अच्छी प्रस्तुति । हार्दिक बधाई ।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 20, 2017 at 6:51pm

सुंदर अभिव्यक्ति | हार्दिक बधाई |

Comment by Manoj kumar shrivastava on December 20, 2017 at 8:24am

आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी सादर आभार स्वीकार कीजिए।

Comment by Manoj kumar shrivastava on December 20, 2017 at 8:23am

आदरणीय कुशक्षत्रप जी सादर अभिवादन। अपना स्नेह बनाये रखिएगा। सादर आभार

Comment by Manoj kumar shrivastava on December 20, 2017 at 8:21am

आदरणीय दादा समर कबीर जी सादर नमस्कार, आपके मार्गदर्शन के लिए सादर आभार, अपना स्नेह बनाए रखें। धन्यवाद

Comment by Manoj kumar shrivastava on December 20, 2017 at 8:19am

आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी हृदयतल से आभाार स्वीकार कीजिए

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 19, 2017 at 9:24pm

आदरणीय नोज कुमार जी उम्दा अभिव्यक्ति. हार्दिक बधाई 

Comment by नाथ सोनांचली on December 19, 2017 at 6:33pm

आद0 मनोज कुमार अहसास जी सादर अभिवादन। पुष्य को बिम्बित कर बेहतरीन कविता कही आपने। कोटिश बधाइयाँ। आद0 समर कबीर साहब के बातों का संज्ञान लीजियेगा। सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
15 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
17 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Monday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service