आदरणीय साथिओ,
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बहुत बहुत आभार आ मुहतरम शेख शहज़ाद साहब
बहुत बहुत आभार आ मुहतरम वीरेंदर वीर मेहता साहब
आद0 विनय जी सादर अभिवादन। विषयानुकूल बेहतरीन लघुकथा, भावों का अच्छा पर्दशन किया आपने। बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर। सादर
बहुत बहुत आभार आ मुहतरम सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'साहब
आ. विनय जी, पिता-पुत्र रिश्ते के माध्यम से प्रदत्त विषय को बहुत ही ख़ूबसूरती से उभारा है आपने. अच्छी लगी आपकी लघुकथा. शीर्षक बेहतर हो सकता था. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.
बहुत बहुत आभार आ मुहतरम महेंद्र कुमार साहब
खुद अकेलापन और कष्ट झेलते हुए भी माँ बाप बच्चों की बेहतरी के लिए उनका वियोग सहने के लिए तैयार रहते हैं . बहुत अच्छी रचना .प्रदत्त विषय को अलग ढंग से परिभाषित करते हुए ...हार्दिक बधाई आदरणीय विनय जी
बहुत बहुत आभार आदरणीया प्रतिभा पांडे जी
आ. भाई विनय जी, सुंदर कथा के लिए बधाई ।
हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार जी।बेहतरीन लघुकथा।
बहुत बहुत आभार आदरणीय तेज वीर सिंह जी
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