आदरणीय साहित्य प्रेमियो,
सादर अभिवादन ।
पिछले 86 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :
"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-87
विषय - "सुख"
आयोजन की अवधि- 12 जनवरी 2018, दिन शुक्रवार से 13 जनवरी 2018, दिन शनिवार की समाप्ति तक
(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.
उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --
तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
नज़्म
हाइकू
सॉनेट
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)
अति आवश्यक सूचना :-
रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो पद्य-साहित्य की अलग अलग विधाओं अथवा अलग अलग छंदों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.
आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है.
इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो -12 जनवरी 2018, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा)
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महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
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मंच संचालक
मिथिलेश वामनकर
(सदस्य कार्यकारिणी टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.
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आ. भाई सुरेंद्र जी, दोहो के रूप में दूसरी प्रस्तुति भी बेहतरीन हुई है । हार्दिक बधाई ।
आद0 लक्ष्मण धामी सादर अभिवादन। दोहे अच्छे लगे, सृजन सफल हुआ। सादर आभार
आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी आदाब,
द्वितीय पेशकश के रूप में एक से बढ़कर एक दोहे हुए हैं । हर दोहा लाजवाब । जितनी तारीफ़ की जाय कम है ।हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन। दोहे पसन्द आये, लिखना सार्थक हुआ। सादर आभार
जनाब सुरेन्द्र नाथ साहिब ,प्रदत्त विषय पर सुन्दर दोहे हुए हैं ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें । दोहा 3 में सुख शब्द का इस्तेमाल नहीँ हुआ है ,देखियेगा
आद0 तस्दीक अहमद खान जी सादर अभिवादन। क्या सभी दोहों। में सुख आये, तभी सुख पर रचना होंगी, भाव पक्ष भी होता है जनाब। आपकी बेहतरीन प्रतिक्रिया के लिए आभार
सभी दोहे बढ़िया हुए है | हार्दिक बधाई आपको आदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी |
आद0 कल्पना भट्ट जी सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया, सादर
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी सादर, आपकी यह दूसरी प्रस्तुति भी प्रदत्त विषय पर बहुत सुंदर बन पड़ी है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें.फिरभीअंतिम दोहे में गंभीर शब्द का प्रयोग उचित नहीं लग रहा है.सादर.
अनुभूति/प्रीति ....यह श्रेष्ठ तुक नहीं है.
अंतिम दोहे को कुछ ऐसा संशोधित किया जा सकता है.
दर्द प्रसव के वक्त का, करता बहुत अधीर |
देता सुख मातृत्व का , मिट जाती हर पीर ||
आद0 अशोक कुमार रक्ताले जी सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति से रचना सार्थक हुई। अनुभूति और प्रीति के तुक पर हमें भी सन्देह था, खैर उचित शब्द की तलाश में हूँ। अंतिम दोहे में आपके सुझावनुसार बेहतर हो गया। बहुत बहुत आभार आपका। सादर
वाह भाई सुरेन्द्र जी आपके दोहे अनमोल हैं आपकी उत्कृष्ट सृजन क्षमता अति प्रशंसनीय है बहुत बहुत बधाई
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