For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 2122 212


बेखुदी की जिंदगी है आजकल ।
खूब सस्ता आदमी है आजकल ।।

जी रहे मजबूरियों में लोग सब।
महफिलों में ख़ामुशी है आजकल ।।

लग रही दूकान अब इंसाफ की ।
हर तरफ़ कुछ ज़्यादती है आजकल।।

छोड़ कर तन्हा मुझे मत जाइए ।
कुछ जरूरत आपकी है आजकल ।।

अब नहीं मिलता कोई मुझसे यहां।
बर्फ रिश्तों पर जमी है आजकल ।।

आपके हर कातिलाना वार से ।
फैल जाती सनसनी है आजकल ।।

मैकदे में शोर बरपा है बहुत ।
जाम पर रस्सा कसी है आजकल।।

रिन्द खोते जा रहे सारा अदब ।
जाने कैसी तिश्नगी है आजकल।।

हुस्न पर पर्दा न इतना कीजिये ।
हुस्न की ही बन्दगी है आजकल ।।


क्या भरोसा रह गया है यार का ।
वह निभाता दुश्मनी है आजकल ।।

अब नहीं जाना मुझे उसकी गली ।
वह कहाँ पहचानती है आजकल।।

इक हसीना खेलने के वास्ते ।
दिल हमारा मांगती है आजकल ।।


---नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 438

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मनोज अहसास on January 22, 2018 at 12:02pm

बहुत खूब आदरणीय

Comment by बसंत कुमार शर्मा on January 20, 2018 at 6:33pm

खूबसूरत ग़ज़ल हुई है आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 20, 2018 at 3:23pm

बहुतखूब बहुतखूब आदरणीय त्रिपाठी जी..

Comment by Naveen Mani Tripathi on January 20, 2018 at 1:16pm

आ0 मुहम्मद आरिफ साहब तहे दिल से शुक्रिया ।

Comment by Mohammed Arif on January 20, 2018 at 7:54am

वाह! वाह!! मज़ा आ गया ! मज़ा आ गया !!  बहुत ही उम्दा ग़ज़ल कही । शोर भी है, शिकवा भी है , ताज़गी भी और सामयिकता का पुट भी । हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
5 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
22 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
22 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service