आदरणीय साथिओ,
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बहुत खूब।लोगों की मानसिकता बदलने की आवश्यकता है।काम से ज्यादा पुरुषवादी सोच।बहुत बढ़िया।बधाई आ.अजय जी
शुक्रिया जानकी जी
बहुत सुन्दर लघुकथा है।
शुक्रिया कनक जी
"कथनी और करनी" का स्पष्टीकरण देती समसामयिक उम्दा बेहतरीन सारगर्भित लघुकथा के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब अजय गुप्ता जी। दिये गये विषय को महिला सशक्तिकरण के ज्वलंत मुद्दे से जोड़ कर विचारोत्तेजक रचना सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद और शुभकामनाएं। अंतिम पंक्ति शीर्षक को उभारती हुई बहुत बढ़िया उम्दा है।
यह रचना हमें बहुत मार्गदर्शित करती है।
शुक्रिया उस्मानी साहब
आदरणीय अजय जी, प्रदत्त विषय पर सामयिक कथानक के चयन से लघुकथा निश्चित ही प्रभावशाली बन पड़ी है सादर बधाई.
शुक्रिया श्रीमान
आद0 अजय जी सादर अभिवादन।बढिया लघुकथा लिखी आपने।विषयानुकूल भी। इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार कीजिये
विषय से न्याय करती इस प्रभावशाली लघुकथा हेतु मेरी शुभकामनाएं स्वीकारें भाई जी ।
इस लघु कथा में पुरुषों की मानसिकता खुल कर सामने आई है जो महिलाओं को दिल से सशक्त बनते नहीं देख सकते और किसी हद ताक यही सच्चाई भी है पुरूषों को ये बात हज़म होने में अभी और वक़्त लगेगा की अब महिलाएँ जागरूक हैं और अपने हक के लिए प्रतिबद्ध हैं .बहुत विचारणीय प्रस्तुति दिल से मेरी बधाई स्वीकार करें आद० अजय कुमार जी
आदरणीय अजय गुप्ता जी आदाब,
प्रदत्त विषय पर लाजवाब लघुकथा । हार्दिक बधाई स्वीकार करेंं ।
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