आदरणीय साथिओ,
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आदरणीय तेजवीर सिंह जी , इस काल्पनिक परन्तु आशान्वित करने वाली प्रस्तुति के लिए बधाई , सादर।
हार्दिक आभार आदरणीय डॉ विजय शंकर जी।
तथ तो महत्वपूर्ण होते हैं, पर लघुकथा बहुत सुंदर हुई, बधाई हो
हार्दिक आभार आदरणीय मोहन बेगोवाल जी।
जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब, प्रदत्त विषय को सार्थक करती अच्छी लघुकथा लिखी है आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।आदाब।
वरिष्ठजन सब कुछ कह चुके हैं। मैं यह कहना चाहता हूं कि शब्द "बापू" की पुनरावृत्ति कुछ कम की जा सकती है। सादर ।
अपनी विचारधारा और स्वार्थ के अनुसार ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश करना आज का आम चलन हो गया है। इतिहास पर बहस करने से अच्छा है उससे सीख ली जाय ताकि इतिहास दोहराया नहीं जाय। एक उत्तम कथा कल्पनाशीलता का बढिया रंग लिये हुए। हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर जी
भारत एक खोज
क्लास में सोनू अपनी किताब में बहुत देर से कुछ ढूँढ रहा था, और मन ही मन कुछ बड़बड़ा रहा था| उसके साथ बैठा उसका सहपाठी का ध्यान उसपर पड़ा, सोनू का ध्यान क्लास में पढ़ाये जा रहे विषय से अलग इतिहास की किताब में था, उसके सामने भारत का नक्शा था, उसको बड़बड़ाता देख उसके सहपाठी ने जिज्ञासावश पूछा," सोनू! ये तुम क्या कर रहे हो? मैडम की नज़र भी तुमपर है पर एक तुम हो की.." उसकी बात ख़तम भी न हुई थी कि उन्होंने अपनी टीचर को अपने समीप पाया, जो गुस्से से लाल पीली हो रही थीं, उन्होंने कहा," सोनू! व्हाट आर यू अपटू एंड व्हाट इस थिस? आई ऍम टीचिंग यू इंग्लिश एंड लुक एट योरसेल्फ यू हैव ओपेन्ड योर हिस्ट्री बुक| हाउ डेर यू ...|"
"ओह! सॉरी मैडम| मैडम! क्या सच में अपना देश भारत ही है?"
"यह कैसा प्रश्न है सोनू? हाँ! भारत ही अपना देश है| पर यह सवाल तुम मुझसे क्यों पूछ रहे हो ? और मैं तो तुमको हिस्ट्री पढ़ाती भी नहीं|"
"वो .. मैडम मेरे दादाजी ने मुझसे कहा कि आज तुम लोग आज़ाद हो,हमारे ज़माने में स्कूल जाना मुश्किल होता था| आज़ादी की लड़ाई के लिए हर बच्चा अपने वतन पर मर मिटने को तैयार रहता था, अंग्रेजो के जुल्म बढ़ते जा रहे थे पर भारत के लोगों में क्रांति का बीज अब अपनी ज़मीन चाहता था, और उसके लिए हर आयु के लोग तैयार थे|"
"तुम्हारे दादाजी ठीक कहते हैं सोनू| पर इस इंडिया में मैप में तुम क्या तलाश रहे हो?"
"मैं उस भारत और भारत के लोगों को इस मैप में तलाश रहा हूँ, मुझे मिल जायेंगे न आज भी ऐसे भारत वासी|"
मैडम निरुत्तर ....
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