For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा- फर्क (अर्पणा शर्मा)

 "अरे , मकान का काम देखने मम्मी जी , पापाजी को भेज दें।", राखी कुनमुनाई, "बेकार ही घर में बैठे हैं" वो सोचने लगी, " हम तो खाना निपटा कर फिर थोड़ी देर वहाँ काम देख आएँगे", सास-ससुर के जाते ही उसने आजादी की साँस ली और जल्दी से मायके फोन लगाया । वैसे तो सुबह उठकर सबसे पहले अपने पिताजी से बात करके ही उसका दिन शुरू होता है पर फिर भी पूछना था कि उन्होंने ठीक से खाना खाया कि नहीं । तभी नन्ही पलक ठुमकती आई-"मम्मी सू आरही है", "अरे भई, अपन से नहीं होता ये सब, बच्चों की सू-सू, पाॅटी", राखी ने भुनभुनाते हुए नौकर को बुलाया और पलक के साथ भेजा। " बड़ी आफत है, इतने लोगों का खाना-पीना..", उसने नौकर को खाना बनाने के निर्देश दिये और खुद अपनेकमरे में आराम करने लगी। सोच रही थी कि उसकी ननद का कैसे भी ब्याह होजाये वरना बाद में उसके ही गले आपड़ेगी। "वो तो अच्छा है कि सास-ससुर, ननद दूसरे शहर में हैं और कभी-कभार आते हैं तब भी उसे खटका लगा ही रहता है। दकियानुसी लोग हैं ", राखी सोच रही थी...."बड़ों के सामने सिर पर पल्ला लो, पैर छूकर आशीर्वाद लो, घर साफ रखो, पूजा में साथ बैठो, सबको खाना खिलाओ, ये भी कोई जिंदगी है??", "ना जींस टाॅप पहन सकते , ना दोस्तों के साथ पार्टीे और मौज-मस्ती ...ऊपर से कहीं जाना चाहोगे तो सास-ससुर कहते हैं कि ननद को भी साथ लेजाओ....", " ऐसे कोई हमेशा चिपका के रखता है क्या...??" , " भई, मैंने तो शादी के पहले दिन ही उन लोगों को अपने कमरे में आने से मना कर दिया, आखिर मेरी प्राइवेसी भी कोई चीज है....", "मेरे पापा ने इतने लाड़-प्यार से पाला है, क्या मैं इनकी चाकरी करूँ! !", राखी अपनी सोच में मगन कुढ़ रही थी, "...और ये भी तो छोटी बहन का इतना लाड़ करते हैं, भला ऐसे भी कोई लुटाता है क्या? ??"

तभी द्वार की घंटी बजी, नौकर ने दरवाजा खोला और अचानक पीछे से आकर किसी ने लाड़ से उसकी आँखें ढांप लीं । "अरे पाखी तू, आगई कालेज से", उसकी आँखें चमक उठीं, "चल तू खाना खाले फिर मेरे कमरे में आराम करना, और वो जो सलवार सूट मैंने नया सिलवाया है वो तू कल कालेज पहन जाना", उसका दिल भर आया- "माँ के देहांत के बाद 2 साल छोटी बहन को बेटी की तरह पाला है, अपनी शादी के बाद इसकी फिर पढ़ाई शुरू करवाई और कार चलाना, माॅड़ बनकर रहना सिखाया, तभी तो इसके लिए अच्छा लड़का मिलेगा.."। राखी का मायका पैदल दूरी पर होने के कारण पाखी काॅलेज के बाद रोज यहीं आजाती थी। " दीदी वो क्या है कि, फीस के पैसे ...", बोलते-बोलते पाखी रूक गई । " हाँ -हाँ, ये ले 15 हजार रूपये हैं, फीस के देने के बाद बचे पैसों से अपने लिए कुछ ले-लेना", राखी ने बड़े ममत्व से कहा।  संतोष की गहरी साँस लेते वह बोली- "आखिर तेरे जीजाजी इतना कमाते किस लिये हैं ...!!"

अप्रकाशित एवं मौलिक

Views: 624

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on July 21, 2018 at 12:20am

अंतर/दोगलापन स्पष्ट करती बहुत बढ़िया प्रस्तुति।हार्दिक बधाइयां आदरणीया अपर्णा शर्मा जी।

Comment by Arpana Sharma on October 7, 2016 at 3:24pm
बहुत शुक्रिया



मेरी लघुकथा पसंद करने के लिये आपका बहुत धन्यवाद आदरणीय श्रीमान् समर कबीर साहाब एवं आदरणीय श्रीमान् शकूर जी
Comment by Samar kabeer on October 6, 2016 at 8:46pm
मोहतरमा अर्पणा जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 6, 2016 at 10:38am

इंसान बहुत स्वार्थी होता है कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में उसका ये स्वभाव सामने आ ही जाता है, बहुत बहुत बधाई आपको  इस लघुकथा के लिए

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
16 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
29 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। हर तरफ शोर है मुक़दमे…"
58 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"एक शेर छूट गया इसे भी देखिएगा- मिट गयी जब ये दूरियाँ दिल कीतब धरा पर का फासला क्या है।९।"
59 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब।  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बात करते नहीं हुआ क्या है हमसे बोलो हुई ख़ता क्या है 1 मूसलाधार आज बारिश है बादलों से…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
5 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
9 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
9 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service