आदरणीय साथिओ,
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दृष्टिकोण
नोटबंदी के बाद बैंक में गहमागहमी का माहौल। लंबी कतार के बाद मॉ-बेटी बैंक के अंदर पहुंचे तो देखा रोबोट और हाईटेक मशीनों से सुसज्जित बैंक में सब काम कर रहे हैं पर बैंक मैनेजर शांतभाव से बैठी हुई हैं। तभी एक स्टैण्ड पर पानी के लिए रखे मटके को देखकर बेटी ने आश्चर्य से पूछ लिया : मॉ इतने आधुनिक बैंक में मटका ?-! मॉ की दृष्टि मैनेजर से हटकर मटके पर पड़ीं तो तेज श्वास छोड़कर सहज होते हुए बोलीं: ये दिमाग को ठण्डा बनाये रखने के लिए है। इतना सुनते ही कम्प्यूटर का बटन दबाते हुए बैंक मैनेजर मुस्कुरा उठीं।
मौलिक अप्रकाशित स्वरचित
हा हा हा।
बहुत बढ़िया।
रोचक भी और विष्यानुकूल भी
आदरणीय लघुकथा का भाव समझने और प्रतिक्रिया के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। आप सभी को पढ़कर ही कुछ लिखना सीख रहे हैं। आशीर्वाद और शुभकामनाओं के सदैव आकांक्षी।
विषयांतर्गत बहुत ही उम्दा कथानक पर बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय आशीष श्रीवास्तव साहिब। लेकिन इस पर अभी और समय दिया जा सकता है। //मॉ=मां// संवादों में इन्वर्टेड कौमाज़ भी लगाने हैं। सादर। रचना के अंंत में नियमानुसार (मौलिक व अप्रकाशित) लिखना/घोषित करनाा अनिवार्य है।
आदरणीय आपकी सुधारात्मक प्रतिक्रिया के लिए दिल से शुक्रिया, बारिश के ऐसे मौसम में जब इंटरनेट की गति पर भी कहीं-कहीं विपरीत असर पड़ रहा है तब भी आपने कीमती वक्त निकालकर लघुकथा पढ़ी और हमारा ध्यान आकर्षित कराया इसके लिए हम आपके शुक्रगुजार हैं। आपका साथ हमें हमेशा मिलता रहा है भविष्य में भी आपका मार्गदर्शन, सहयोग हमें ऐसे ही मिलता रहेगा ऐसी उम्मीद है। दुआओं का सदैव तलबगार।
हार्दिक बधाई आदरणीय आशीष जी। रोचक प्रस्तुति।
आदरणीय आप सभी का हृदय की गहराईयों से आभार, निवेदन है कि इसी प्रकार अपना आशीर्वाद और दुआएं बनाये रखियेगा। आपकी प्रतिक्रिया और सहयोग ही है, जो हमें लिखने के लिए प्रेरित करता है। विश्वास है भविष्य में भी हमें आपका पूरा सहयोग मिलता रहेगा। आशीर्वाद और शुभकामनाओं के सदैव आकांक्षी।
सुन्दर रचना के लिए बधाई
आदरणीय आप सभी का हृदय की गहराईयों से आभार, आपकी प्रतिक्रिया और सहयोग ही है, जो हमें लिखने के लिए प्रेरित करता है। विश्वास है भविष्य में भी हमें आपका पूरा सहयोग मिलता रहेगा। निवेदन है कि इसी प्रकार अपना आशीर्वाद और दुआएं बनाये रखियेगा। दुआओं का सदैव तलबगार।
मौलिक व अप्रकाशित तो लिखा है,भाई उस्मानी जी ।
जनाब आशीष साहिब , प्रदत्त विषयपर सुंदर लघुकथा हुई है मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं l
बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब, आपने अपनी दुआओं से नवाजा बड़ी मेहरबानी इसी प्रकार अपना आशीर्वाद और दुआएं बनाये रखियेगा। आपकी प्रतिक्रिया और सहयोग नहीं मिलता तो शायद ही हम ये लिख पाते। आपकी प्रतिक्रियाएं हमें लिखने के लिए प्रेरित करती है। विश्वास है भविष्य में भी हमें आपका पूरा सहयोग मिलता रहेगा। दुआओं का सदैव तलबगार।
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