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आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।

पिछले 95 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-96

विषय - "विरासत"

आयोजन की अवधि- 12 अक्टूबर 2018, दिन शुक्रवार से 13 अक्टूबर 2018, दिन शनिवार की समाप्ति तक

(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)

बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
नज़्म
हाइकू
सॉनेट
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :-

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो पद्य-साहित्य की अलग अलग विधाओं अथवा अलग अलग छंदों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.

रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है.

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो - 12 अक्टूबर' 2018, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा)

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महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें

मंच संचालक
मिथिलेश वामनकर
(सदस्य कार्यकारिणी टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

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Replies to This Discussion

आदरणीय छोटे लाल जी उत्तम प्रस्तुति। विरासत स्त्रीलिंग शब्द है। सादर


रहस्य
====
मेरी जीवन संगिनी,
विपदाओ,
आपदाओ, बाधाओ !
तुमने,
मेरे लिये,
अपना कर्तव्य, पल पल निवाहा।


साॅंस की तरह घुलमिल कर ,
तुम्हारे सहोदरों ने,
व्रत लिया-- --
मेरे जन्म से मरण तक,
स्वप्न में भी कभी साथ न छोड़ने का।


अन्यों की तरह,
अकेलेपन का रोना रोने के लिये-- -
मुझे मौका ही न मिल पाया।
क्योंकि,
तुम सभी का सान्निद्य ही ऐसा था।


कोई कितना ही दावा करे ,
अपने साथी के साथ का-- --
निकटता का, घनिष्ठता का -- --
हमारे तुम्हारे साथ की तुलना में
बिलकुल उपेक्षणीय होगा।


भाई, साथ हो तो ऐसा !
जैसा हमारा तुम्हारा,
पर, ए मेरी अन्तरंग !
आज मुझे इतना तो बताओ,
कि इतने तत्परतापूर्ण वरण के लिये -- --
आखिर तुमने, मुझमें,
दूसरों की तुलना में ऐसा क्या विशेष पाया?


मौलिक व अप्रकाशित

सुकुल जी कविता के शीर्षक की तरह ही कविता रहस्य ही है। 

प्रदत विषय पर बेहतरीन रचना,हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सुकुल सरजी।

आदरणीय शुकुल जी, अच्छी रचना की प्रस्तुति पर बधाई।

जनाब डॉ.टी. आर.सुकुल जी आदाब,प्रदत्त विषय को सार्थक करती अच्छी रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

आदरणीय सुकुल सर ,बेहद शानदार रचना।इसमें बहुत कुछ हमारे सीखने के लिए है।

बधाई सर।

वाह  जीवन संगिनी के रूप मे विपदाओं बाधाओं को स्वीकारते हुए भावपूर्ण रचना।हार्दिक बधाई आपको। 

आदरणीय डॉ टी आर शुकुल जी आपकी रचना बहुत ही आकर्षक है विषयानुकूल सुंदर रचना के लिए दिली मुबारकबाद

वाह कविता का रहस्य जैसे-जैसे उजागर होता है कविता वैसे वैसे ही आपको अपने पाश में जकड़ लेती है। बहुत उत्तम

जीवन संगिनी और सहोदरों के प्रतीकों में मन की बात कहती बहुत बढ़िया शब्द-शिल्पयुक्त रचना के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय त्रैलोक्य रंजन शुक्ल साहिब।

आदरणीय सुकुल जी, मैं इस प्रस्तुति को विषय से जोड़ पाने में असमर्थ हूँ। //सानिध्य/ ।सादर

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