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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

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आ.गणेश जी, उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश क़बूल कीजिए सर। वाह

दिल से आभार आदरणीय दिनेश कुमार जी.

जनाब गणेश बागी़ साहिब

उम्दा अश्आर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ,,

दिल से आभार जनाब अफ़रोज़ साहब। 

आ. बाग़ी जी,
आपको ग़ज़ल में देखना ही   सुखद अनुभव है.. अच्छी ग़ज़ल हुई   है... 
पुछल्ले के पात्र ने मी टू कह दिया तो सोच लीजियेगा... ;)))
समर सर की बात का संज्ञान लें 
बधाई 
सादर 

प्रिय नीलेश भाई, उत्साहवर्धन करती आपकी टिप्पणी हेतु बहुत बहुत आभार, आदरणीय समर साहब की बातों को सदैव की तरह गंभीरता से लिया है. 

   आदरनीय गणेश जी, सुंदर ग़ज़ल की मुबारक हो , आप जी की कोशिश को भी सलाम है 

आभार आदरणीय मोहन बेगोवाल जी.

आदाब। दिल की बात  दिलचस्प पुछल्लों सहित सभी अशआर में बाख़ूबी सम्प्रेषित हुई है। तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब  इंजी. गणेशजी 'बाग़ी' साहिब।/p>

ग़ज़ल को पसंद करने हेतु दिल से आभार मुहतरम शेख़ शहज़ाद उस्मानी साहब।

पिछल्लू.....
दर्द अपना थमा गया है मुझे
अपना जीजा बना गया है मुझे

खुद तो मुर्गा दबा-दबा खाया।   हा हा हा हा बहुत ख़ूब ! बहुुुत ख़ूूूब !

ली हांडी टिका गया है मुझे

         दिली मुबारकबाद आदरणीय गणेश 'बाग़ी'जी ।

जनाब मोहम्मद आरिफ साहब, आपकी प्रतिक्रिया पढ़ मन मुग्ध है, दिल से आभार प्रेषित है। 

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