आदरणीय साथिओ,
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मुहतरमा नीलम उपाध्याय जी आदाब,प्रदत्त विषय पर अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
बेहतरीन मनोरंजक, ज्ञानवर्धक रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीया नीलम दी।
यह रचना एक बोधकथा या लोककथा है, लघुकथा नही आ० नीलम उपाध्याय जी.
आदरणीया नीलम जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।
आदरणीय नीलम दी, अच्छा प्रयास है पर यह लघुकथा तो नहीं हुई है| सादर\
आदरणीय उपाध्याय जी बहुत बहुत बधाई सुंदर लघुकथा सादर
आयोजन में सहभागिता के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आ. नीलम जी. बाकी गुणीजनों ने कह ही दिया है. सादर.
'स्ट्राइक्स' स्ट्राइक - (लघुकथा) :
"न हड़तालों को वाजिब मानता हूं और न ही शल्यचिकित्सात्मक सैन्य स्ट्राइक को! बैठ कर चर्चा करके कोई समाधान निकाला जाना चाहिए, बस!" मिर्ज़ा सर जी के भाषण के इस अंश का अंग्रेज़ी माध्यम विद्यालय के कुछ शिक्षकगण भी उपहास कर रहे थे और कुछ मुंह लगे विद्यार्थी भी।
"ऐसे लोगों के मुंह लगना भी ठीक नहीं!" यह सोच कर आज वे स्टाफरूम में बैठे हुए अपने किसी काम में व्यस्त थे।
"अच्छा हुआ! ऐसे ही दुश्मनों के घर अचानक सीधे घुस कर स्ट्राइक कर देना चाहिए! चालीस के बदले चार सौ उड़ा दिए! मज़ा आ गया!" एक शिक्षिका ने लगभग उछलते हुए कहा।
"कल तो हमारे यहां भी मिठाइयां बांटी गईं; सबको बधाइयां दीं गईं!" दूसरी शिक्षिका ने मिर्ज़ा सर की ओर देखते हुए ऐसे ढेर सारे समाचार सुना डाले।
"शराफ़त का ज़माना नहीं रहा अब! बहुत बर्दाश्त कर ली! अब तो सबक़ सिखा ही देना चाहिए दुश्मन को!" पहली वाली इतने अधिक जोश में बोल पड़ी कि मिर्ज़ा सर के काम पर वे बोल स्ट्राइक कर गए। गर्दन पीछे घुमा कर वे उन सभी शिक्षिकाओं को देखने लगे; लेकिन चुप्पी साधे रहे।
"समाधान में देर नहीं करना चाहिए, हम औरतों को भी! मैं तो बिल्कुल नहीं दबती अपने हसबैंड से भी! कोई भी ग़लत बात स्ट्राइक हुई, तुरंत ही रिएक्ट कर राइट कर देतीं हूं!" पिछले वर्ष ही विवाहित हुई शिक्षिका ने चर्चा में दिलचस्पी लेते हुए कहा ही था कि उनके बगल में बैठी जींस-टॉप पहनी नवनियुक्त युवा शिक्षिका टांगें फैला कर कमर पर हाथ रखकर बोली - "मैं तो अपने पापा से भी कह देती हूं कि नये ज़माने की पढ़ी-लिखी हूं! नो टोका-टाकी,नो रोका-राकी! जो पहनना है, पहनूंगी; जो करना है करूंगी!" इतना कहकर इधर उसने अपने दोनों हाथ ऊपर की ओर लहराये और उधर मिर्ज़ा सर की निगाहें उसके ऊपर की ओर सरकते टॉप पर और फिर उघड़े उदर पर पड़ीं! तुरंत उन्होंने अपना पढ़ने वाला चश्मा आंखों पर चढ़ाया और जो पुस्तक हाथ में आई, उसी के पन्ने सिर झुका कर ऐसे पढ़ने लगे जैसे कि उन पर तहज़ीब ने करारी स्ट्राइक की हो। तभी घंटी बज गई और वे तेज क़दमों से अपनी अगली कक्षा में धड़ाधड़ घुस गये! देखा कि दो छात्र आपस में हाथापाई कर अभद्र बड़बोलापन कर रहे थे।
"साले तेरे घर में सीधे घुस कर ऐसी स्ट्राइक करूंगा कि गिरा, तो उठ भी नहीं पायेगा!" एक छात्र चीखा।
"हां, हां, तेरे पास भी उधार की कोई विदेशी ताक़त है न! तभी तो सक्सेना सर तुझे हमारी कक्षा का आतंकवादी कहते हैं!" दूसरे ने जवाबी जुमला उगला।
मिर्ज़ा सर ने 'गर्व' और 'आसिफ़' नाम के उन दोनों छात्रों के कान पकड़कर दोनों को कक्षा के सामने हाथ ऊपर करवा कर खड़ा कर दिया।
"चुप हो जाओ बे सब लोग! सर जी अब ज़रूर ताजा समाचार सुनायेंगे या पड़ोसी देशों और पावरफुल देशों की करतूतें!" पीछे बैठे एक लम्बे से छात्र ने अपनी टांगें बेंच के बाहर फैलाते हुए कहा।
"देखो बच्चों, अगले महीने से तुम्हारी वार्षिक परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। ताज़े समाचारों से अवगत भले रहो, लेकिन अपना मन केवल पढ़ाई पर केंद्रित करो! ऐसी रणनीति से परीक्षाओं से लड़ो कि मनचाही विजय मिले!"
मिर्ज़ा सर इतना बोल कर ब्लैकबोर्ड पर 'रिवीज़न टेस्ट' के प्रश्न लिखने लगे। तभी पीछे से एक मोटा से विद्यार्थी बोला - "सर, तीसरा विश्व युद्ध अब तो शुरू हो जायेगा न! हमें देखना है; मज़ा आयेगा!" इतना कहकर वह अपनी टेबल पर तबले सी ताल देने लगा!
मिर्ज़ा सर सिर्फ इतना ही बोले - "ऐसा तो हमें सपने में भी नहीं सोचना चाहिए! चौदह साल के हो चुके हो! सेहत, पढ़ाई और करिअर की सोचो! मौक़ापरस्ती चल रही है देश-दुनिया में तो!"
"सर, ये मौकापरस्ती क्या होती है?" आगे बैठी एक छात्रा ने पूछा।
"अवसरवादिता!" जवाब दिया गया, जिस पर सज़ा में खड़े छात्रों में से एक बोला "ये कौन सी भाषाओं के वर्ड्स बोल रहे हो, सर जी! अंग्रेज़ी वर्ड बताओ!"
"इस अंग्रेज़ी और अंग्रेज़ियत से ही तो बचना है न, अपनी संस्कृति पर उनकी स्ट्राइक्स रोककर!" इतना कहकर उन्होंने छात्रों को प्रश्नोत्तर शीघ्र लिखने का निर्देश दिया।
(मौलिक व अप्रकाशित)
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,प्रदत्त विषय को परिभाषित करती बहुत उम्दा लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
आदाब। मेरी इस कोशिश को अपनी पहली टिप्पणी देकर मुझे प्रोत्साहित करने हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय समर कबीर साहिब।
बेहतरीन रचना ,अंतिम वाक्य ही सब समस्याओं का समाधान ।हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय शेख सरजी।
आदाब। मेरी इस रचना की गहराई तक जाकर अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीया बबीता गुप्ता साहिबा।
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